किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है, लेकिन उसकी अति नहीं होनी चाहिए। आपको किसी हितैषी की हमेशा ही जरूरत होती है और सद्गुरु से बड़ा इस दुनिया में सच्चा हितैषी कोई नहीं है।
कोई न सतगुरु सों परोपकारी जग माहिं।
मैलो मन-बुद्धि संवार, यम ते लेत छुड़ाहिं।।
कोई न सतगुरु सों परोपकारी जग माहिं।
मैलो मन-बुद्धि संवार, यम ते लेत छुड़ाहिं।।
प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, सोरों