रोडवेज में यात्रियों के सुरक्षा और समयबद्धता के लिए रवानगी से पहले बसों की कार्यशाला में जांच की जाती है। लेकिन प्रदेश में अधिक आय देने वाली रोडवेज आगार में शुमार हिण्डौन डिपो में कार्यशाला में महज 28 मैकेनिक ही कार्यरत है। जबकि कार्यशाला के सुचारू संचालन के लिए रोडवेज प्रबंधन ने विभिन्न श्रेणियों में 90 पद स्वीकृत किए हुए हैं।
जेईएन हैं न गे्रड-प्रथम मैकेनिक-
रोडवेज की कार्यशाला में विभिन्न संवर्गों में पर्यवेक्षण के लिए कनिष्ठ अभियंता के 6 पद स्वीकृत हैं। लेकिन दशकों से आगार में कनिष्ठ अभियंता का पद स्थापन हीं नहीं हुआ। ऐसे में कार्यशाला में बिना पारी प्रभारी के ही मैकेनिकों की टीम मरम्मत कार्य करना पड़ रहा है। वहीं कार्र्यशाला में यांत्रिक गे्रड-प्रथम के स्वीकृत सभी 18 पद वर्षों से रिक्त हैं।
काम केे बोझ के मारे मैकेनिक बेचारे-
रोडवेज आगार सूत्रों के अनुसार कार्यशाला को तीन पारियों में 24 घंटे संचालन होता है। जबकि कार्यशाला मेंं 90 की तुलना में मात्र 28 मैकेनिक ही कार्यरत हैं। कार्यशाला में दिन की पारी में 17-20 व रात की पारी में करीब 35 बसें मरम्मत व रुटीन जांच के लिए आती है। वहीं कार्यरत मैकेनिकों को कार्यशाला में मरम्मत के काम के साथ डीजल पम्प, टायर, पाटर््स स्टोर आदि का भी जिम्मा सौंपा हुआ है।
इलैक्ट्रिशिन है न अपोस्टर-
बसों में विद्युत संबंधी कार्य के लिए कार्यशाला में इलैक्ट्रिशियन नहीं है। ऐसे में दूसरी ट्रेड के मैकेनिक बसों में लाइट आदि सहित इलैक्ट्रिशिन का काम कराया जा रहा है। वहीं बसों में सीटों की सिलाई के लिए अपोस्टर का पद रिक्त है। ऐसे में मैकेनिक श्रेणी के कर्मचारी से ही सिलाई के लिए अस्पोटर का काम कराना पड़ रहा है।
चौबीस घंटे में 82 शिड्यूलों पर बसों का संचालन करने वाली हिण्डौन डिपो में 130 चालक कार्यरत हैं। 15 चालकों के स्थानांतरण होने व 4 के सेवानिवृत होने से आठ शिड्यूल प्रभावित हो रही हैं। इससे आगार को प्रति दिन डेढ़ से दो लाख रुपए के राजस्व आय की कमी झेलनी पड़ रही है।
पद नाम————- ———-स्वीकृत कार्यरत रिक्त
परिचालन पं्रबंधक—————1 1 0
कनिष्ठ अभियंता——– ——–6 0 6
यांत्रिक-प्राथम श्रेणी————-18 0 18
यांत्रिक-द्वितीय श्रेणी————–28 8 20
यांत्रिक- तृतीय श्रेणी————- 35 20 15
बस- 84
शिड्यूल -82
काम हो रहा प्रभावित
कार्यशाला में कार्मिकों की कमी से काम प्रभावित हो रहा है। पदस्थापन के लिए उच्चाधिकारियों को कई बार लिखा जा चुका है।
–भाईराम गुर्जर, प्रबंधक ऑपरेशन
हिण्डौन आगार, राजस्थान परिवहन निगम।