कानपुरPublished: Jun 14, 2018 09:38:38 am
Vinod Nigam
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और मां के बीच अनबन बढ़ी, सोनेलाल पटेल की जयंती पर कृष्णा कर सकती हैं बड़ा ऐलान, आ सकता है गुजराती पटेल
अनुपिया के खिलाफ उतर सकती पल्लवी, जीत दिलाने के लिए आएगी यह त्रिमूर्ति
कानपुर। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से कुमारस्वामी के शपथ समारोह में यूपी के तीन दल एक मंच पर आए, इससे साफ हो गया कि 2019 की लड़ाई पीएम मोदी के लिए भारी पड़ने वाली है। साथ ही अन्य छोटे दलों के अंदर भी हार-जीत के आंकड़े जुटाने में लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अखिलेश के गढ़ में जाकर अपने पिता के गांव के सवांरने के नाम पर राजनीतिक जमीन तैयार कर रही हैं तो उसी तरह उन्हें भी घेरने के लिए कांग्रेस व बसपा ने चक्रव्यूह रच दिया है। डॉक्टर सोनेलाल पटेल की जयंती जहां अनुप्रिया पटेल लखनऊ में मनाएंगी, वहीं उनकी मां मिर्जापुर या कानपुर में एक जिले को चुन सकती हैं और इनके मंच पर गुजरात के हार्दिक पटेल के साथ ही राहुल गांधी ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के आने की जानकारी मिली है। जयंती के अवसर पर कृष्णा पटेल अपनी छोटी बेटी पल्लवी को चुनाव के मैदान में उतारने की घोषणा भी कर सकती हैं।
दो धड़ों में बंटी डॉक्टर पटेल की धरोहर
पिछड़ों और किसानों में राजनीतिक अलख जगाने के लिए डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने जिस अपना दल की स्थापना की थी, आज वो दो धड़ों में बंट गया है। डॉक्टर सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल के साथ उनकी एक बेटी पल्लवी पटेल हैं जो सत्ता से दूर रहकर अपने पिता के संघर्षों को आगे बढ़ा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल हैं जो सत्ता के साथ कदमताल करते हुए राजनीतिक सुख भोग रहे हैं। पर इसका फाएदा विरोधी दलों के नेता उठा रहे हैं। यूपी में कुर्मी समाज के नेता के तौर पर अनुप्रिया पटेल अपने आपको पेश कर रही हैं तो तहरं उनकी मां कृष्णा पटेल भी बेटी के रास्ते में काटें बिछा रही हैं। 2 जुलाई को डॉक्टर पटेल की जयंती है और दोनों धड़ अपनी-अपनी ताकत को दिखाएंगे। अनुप्रिया जहां लखनऊ में मौजूद रहेंगी तो वहीं उनकी मां मिर्जापुर या कानपुर में पति की जयंती के जरिए बेटी को अपनी ताकत का एहसास कराएंगी।
इन नेताओं के आने की चर्चा
सोनेलाल पटेल जयंती पर एक तरफ केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल-आशीष पटेल ने मंच पर सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी नेताओं की लंबी फौज बुलाकर अपनी सत्ता की ताकत का शक्तिप्रदर्शन कर सकती हैं तो तो दूसरी तरफ कृष्णा पटेल-पल्लवी पटेल ने बीजेपी के धुर विरोधी नेता हार्दिक पटेल के साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, जग्नेश मेवाणी अखिलेश यादव नरेश उत्तम के साथ ही मायावती के दल के बड़े नेता को बुलवा सकती हैं। सूत्रों की मानें तो कंपनीबाग स्थित कृष्णा पटेंल के निवास पर कांग्रेस के एक दिग्गज नेता मिलने के लिए पहुंचे और वहीं पर बैठकर रणनीति बनीं। साथ ही सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी कुर्मी समाज से आते हैं और उनकी गिनती भी बड़े नेताओं में होती है। जानकारों की मानें तो डॉक्टर पटेल की जयंती के दिन ही 2019 लोकसभा चुनाव का आगाज हो जाएगा। साथ ही यहीं से महागठबंधन की सही तस्वीर सामने आएगी।
यूपी के जातिगति आंकड़े
यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक सूबे में सवर्ण जातियां कुल आबादी का 22 प्रतिशत हैं।इनमें ब्राह्मण 9 फीसद, राजपूत 6 फीसद, त्यागी-भूमिहार-2 प्रतिशत, बनिया-2 प्रतिशत, जाट-2 फीसद और बाकी जातियां एक प्रतिशत हैं। वहीं ं पिछड़ी जातियों का आबादी में हिस्सा 40 प्रतिशत है। इसमे से यादव 8 फीसद, कुर्मी 3.5 फीसद, लोध 2.5 फीसद, कोइरी-काछी 3.5 प्रतिशत, मल्लाह कश्यप् 2.5 फीसद, ओबीसी बनिया 2 प्रतिशत और बाक़ी जातियां18 फ़ीसद हैं। जबकि .राज्य में दलित और अनुसूचित जातियों की आबादी 20 फीसद है। इसमें जाटव-चमार 11 प्रतिशत, पासी 3.5 फीसद, धोबी 1.5 प्रतिशत और बाकी जातियां 4 फीसद हैं। इसके अलावा सूबे में अल्पसंख्यकों की आबादी 18 प्रतिशत है।इसमें से 17 फीसद मुसलमान हैं और बाकी एक फीसद सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई हैं।
3.5 फीसदी कुर्मी वोटर्स
यूपी में कुर्मी मतदाताओं की संख्या करीब साढे तीन फीसदी है और यह कई सीटों की हार-जीत में अहम रोल अदा करते हैं। 1989 के बाद कर्मी वोटर्स मुलायम सिंह के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहा और दोआब में साइकिल ही दौड़ी। लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से कुर्मी वोटर्स का झुकाव भाजपा की तरफ हो गया और इसी के चलते अब गुजरात का हार्दिक पटेल कमल की जीत में रोड़े अटकाने के लिए यूपी आ रहा है। अगर कानपुर व आसपास के जिलों की कुर्मी बाहूल्य सीटों की बात करें तो, इनमें बिंदकी, घाटमपुर, जहानाबाद, सिकंदरा, महाराजपुर, बिठूर विधानसभा क्षेत्र हैं, करीब से 55 फीसदी कुर्मी वोटर्स है, जो हार जीत में अहम रोल अदा करता है। इसी के चलते कुष्णा पटेल जयंती कानपुर या मिर्जापुर से बनाने का ऐलान कर सकती हैं।
पल्लवी को कांग्रेस लड़ा सकती है चुनाव
कांग्रेसियों की मानें तो अनुप्रिया की काट के लिए उनकी छोटी बहन को कांग्रेस टिकट दे सकती है और मिर्जापुर से उन्हीं के खिलाफ चुनाव के मैदान में उतार सकती है। साथ ही इलाहाबाद की वह घटना जिसमें भाजपा नेता व सांसद मुरली मनोहर जोशी के इशारे पर डॉक्टर सोनेलाल पटेल को पुलिस ने पीटा था, कि याद दिलाकर अनुप्रिया की जीत में रोड़े अटका सकती है। कांग्रेस के साथ ही सपा व बसपा भी पल्लवी का समर्थन कर सकते हैं। छोटी बहन के चुनाव में उतरने की जानकारी पर कुछ दिन पहले अनुप्रिया पटेल अपनी मां कृष्णा पटेल से मिलनी आई थीं। जब उन्होंने बयान दिया था कि वो मेरी मां हैं और जब चाहूंगी मिलने आऊंगी। पर सूत्र बताते हैं कि अनुप्रिया पटेल अपनी मां को साथ आने को कहा था, पर उन्होंने बेटी से भाजपा को छोड़ने की शर्त रख दी थी। इसी के बाद फिर दोबारा अनुप्रिया कानपुर तो आई पर अपनी मां से मिलने के लिए नहीं गई।