क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय की तरफ से 11 अक्टूबर 2019 को एक नोटिफिकेशन निकाला गया जिसमें लिखा था कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश लखनऊ की अध्यक्षता में 28 अगस्त 2019 को हुई मीटिंग में यह निर्णय किया गया है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में तैनात 25000 होम गार्डों की तैनाती खत्म कर दी जाती है। इस नोटिफिकेशन के कुछ घंटों के बाद उत्तर प्रदेश के मंत्री चेतन चैहान का एक बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि किसी को निकाला नहीं जाएगा, बजट की कमी को देखते हुए ड्यूटी कम हो सकती हैं। इसी के बाद से कानपुर में होम गार्ड को ड्यूटी खत्म कर उन्हें घर पर बैठा दिया गया।
एक झटके पर छीन लिया रोजगार
होमगार्ड राम कुमार ने बताया कि कि कानपुर में करीब 9 सौ होम गार्ड हैं। पहले रोज 800 के करीब ड्यूटी मिलती थी। अब यह कम होकर सौ के करीब हो गई है। जिन होमगार्डों को साल में 11 महीने के करीब काम मिलता था अब उन्हें तीन से चार महीने काम मिलेगा। सात से आठ महीने हम लोग बेरोजगार बैठेंगे। ऐसे में हमारे सामनें परिवार के भरण-पोषण की गंभीर समस्या हो गई है। सरकार ने बिना सोंचे-समझे ये निर्णय लिया है जो सरासर गलत है। सरकार को अपने फैसले को वापस लेना होगा।
सत्ता से कर देंगे बेदखल
राम कुमार ने कहा कि यदि सरकार फैसला वापस नहीं करती तो हमारा एसोसिएशन भाजपा के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक लड़ेगा। उपचुनाव में होमगार्ड भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे। इसकी शुरूआत हमनेें गोविंद नगर से कर दी है। होमगार्ड पिछले कई दशकों से अपने हम के लिए लड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चलते हमें उचित वेतन मिला। पर सरकार ने इससे बच निकलनें का रास्ता ड्यूटी खत्म कर निकाल लिया। राजेश ने कहा कि 2022 के चुनाव में होमगार्ड भाजपा के खिलाफ गांव-गांव जाकर इनकी पोल खोलेंगे।