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कानपुर

यूपी में कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय, चुनिंदा सीटों के लिए पुराने चेहरों पर भरोसा

कुशीनगर से आरपीएन सिंह, धौरहरा से जतिन प्रसाद, कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रतापगढ़ से रानी रत्ना सिंह, फतेहपुर सीकरी से राज बब्बर और जौनपुर सीट से प्रमोद तिवारी का नाम लगभग तय

कानपुरAug 05, 2018 / 01:21 pm

आलोक पाण्डेय

congress candidate list

यूपी में कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय, चुनिंदा सीटों के लिए पुराने चेहरों पर भरोसा

कानपुर . यूपी की सियासत में कांग्रेस का दखल कमजोर रहेगा। लोकसभा चुनाव के लिए दो चरणों की रणनीति बनाकर कांग्रेस ने यूपी की चुनिंदा सीटों पर चुनाव लडऩे का ऑफर स्वीकार कर लिया है। पार्टी ने सपा और बसपा को अपनी मंशा से अवगत कराते हुए चुनिंदा सीटों के नाम भेज दिए हैं। पार्टी ने सपा-बसपा को भेजी सूची में 12 सीटों की मांग रखी है। अलबत्ता पार्टी ने आठ सीटों पर उम्मीदवार तय कर लिए हैं। इसके साथ ही चार अन्य सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए स्थानीय इकाई से रिपोर्ट मांगी है।

आठ सीटों पर उम्मीदवार तय, राहुल अमेठी से लड़ेंगे

कांग्रेस ने यूपी में भले ही 12 सीटों की मांग रखी है, लेकिन सपा ने कांग्रेस को आठ सीट देने का इरादा बनाया है। अलबत्ता बसपा ने कांग्रेस के लिए सम्मानजनक सीटों की बात रखते हुए 15 सीट देने का सुझाव दिया था। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष दस-बारह सीटों के ऑफर में महागठबंधन में शामिल हो जाएंगे। वजह है कि कांग्रेस का पहला मकसद भाजपा को हराना है, प्रधानमंत्री की कुर्सी को हासिल करना पार्टी की दूसरी वरीयता है। फिलहाल, कांग्रेस अध्यक्ष ने यूपी की आठ सीटों के लिए उम्मीदवार लगभग तय कर दिए हैं। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का रायबरेली से लडऩा तय है। इसके अलावा संप्रग चेयरमैन सोनिया गांधी ही रायबरेली से उम्मीदवार होंगी। प्रियंका गांधी सिर्फ चुनाव संचालन का काम संभालेंगी। पिछले सप्ताह नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने गए शहर के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पार्टी ने कुशीनगर से आरपीएन सिंह, धौरहरा से जतिन प्रसाद, कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रतापगढ़ से रानी रत्ना सिंह, फतेहपुर सीकरी से राज बब्बर और जौनपुर सीट से प्रमोद तिवारी का नाम लगभग तय कर दिया है। अलबत्ता अंतिम क्षणों में कुछ बदलाव भी मुमकिन है। बदलाव वाली सीटों में कानपुर और प्रतापगढ़ का नाम शामिल है।

अन्य उम्मीदवारों को खुद को पहले साबित करना होगा

गठबंधन की स्थिति में मांग के अनुरूप शेष चार सीट मिलने पर पार्टी टिकट देने से पहले उम्मीदवारों को परखेगी। कांग्रेस ने टिकट चाहने वालों को बता दिया है कि पहले खुद को जिताऊ साबित करना होगा, साथ ही यह स्पष्ट करना होगा कि उनकी सीट के लिए कांग्रेस गठबंधन की बाकी पार्टियों से तब ही बात करेगी, जब वे यह बताने में सफल होंगे कि उनकी दावेदारी से सपा-बसपा के संभावित उम्मीदवारों को कोई दिक्कत नहीं है। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस की रणनीति यही है कि महागठबंधन की सूरत में कांग्रेस सिर्फ ऐसी सीटों को अपने हिस्से में लेगी, जहां उसके उम्मीदवार सपा-बसपा की तुलना में बेहतर और चुनाव जीतने की स्थिति में होंगे। ऐसे में उम्मीद है कि वर्ष 2009 के चुनाव में जीतने वाले कांग्रेसी नेताओं को ही मैदान में उतारा जाएगा।
ज्यादातर बड़े नाम ही लड़ेंगे चुनाव, नए नाम पर विचार नहीं

सूत्रों के मुताबिक इस फार्मूले के लागू होने के बाद कम ही उम्मीद है कि नए चेहरों पर कांग्रेस दांव लगाएगी। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में हुई दिक्कत को देखते हुए कांग्रेस इसी फार्मूले पर काम कर रही है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पहले सीटों की संख्या तय हुई और फिर सीटों के नाम। लेकिन तब कई सीटें ऐसी थीं जहां पर सपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार आमने-सामने हो गए। इस बार यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि सीटों के नाम तय हों और किसी भी दल के प्रत्याशी आमने-सामने न आएं। इसके अलावा लोकल स्तर पर अगर प्रत्याशी की स्वीकार्यता होगी तो अन्य दलों के कार्यकर्ता भी उसके लिए चुनाव में सहयोग करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस यह भी सोच रही है कि कमजोर प्रत्याशी के लिए सीट की दावेदारी करने का मतलब यह भी हो सकता है कि वह सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है। कांग्रेस की मंशा है कि सीट बीजेपी के हिस्से न जाएं भले ही इन पर सपा या बसपा का प्रत्याशी लड़े और जीते।

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