बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली पर लगाते हैं स्याही
चुनाव में फर्जी मतदान रोकने और वोट डाल चुके मतदाता की पहचान के लिए इलेक्शन इंक बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली पर लगाई जाती है। यह इंक एक सेकंड के अंदर अपना निशान छोड़कर मात्र 40 सेकंड से भी कम समय में सूख जाती है। स्याही 72 घंटे तक नहीं मिट सकती और इसका रंग 15 दिन तक बना रहता है।
1962 से शुरू हुआ चलन
नीले रंग की इस स्याही को भारतीय चुनाव प्रक्रिया में वर्ष 1962 में शामिल किया गया। यह स्याही कर्नाटक के मैसूर में मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी तैयार करती है। इस कंपनी की स्थापना 1937 में की गई थी। उस समय मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने इसकी शुरुआत की थी। वर्ष 1962 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने इस स्याही को निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल कराया। अब कंपनी इलेक्शन इंक या इंडेलिबल इंक के नाम से स्याही बनाती है।