वाहन चालक राजेश सारण ने बताया कि बिलाड़ा क्षेत्र की 25 ग्राम पंचायतों सहित करीब 60 से अधिक राजस्व गांवों व ढाणियों से घायल व मृत हिरण, मोर, खरगोश, लोमड़ी, नीलगाय का बछड़ा सहित वन्यजीवों को लाने के लिए वन विभाग के पास एक मात्र निजी वाहन लगाया है। गत मार्च 2018 से किराया भुगतान बाकी है और 10 माह मे 100 से अधिक वन्यजीवों को रेस्क्यू सेन्टर छोड़ा है। लेकिन विभाग के अधिकारियों को बार- बार कहने के बावजूद अभी तक किराया राशि का भुगतान नहीं हुआ।
करीब दो लाख की किराया राशि अटकी पड़ी है। बिलाड़ा रेंजर मनोहर खां ने बताया कि वन्यजीवों को ले जाने वालेे वाहन के बिल तो बना दिए है लेकिन बजट नहीं होने के कारण बिल पास नहीं हो सके। जैसे ही बजट आएगा सारे बिल पास कर दिए जाएंगे।