कैसे काम करेगा प्लान
भाटी ने बताया कि प्लान के तहत खेत के चारों तरफ ट्रैक्टर की सहायता से तवी करके 1 फीट गहरी खाई खोदनी होगी। इसके बाद इसमें देशी बोल्डी, पाला बोल्डी, कुम्टीया आदि बीजों को उगाया जाता है। यह पौधे दो वर्ष में 6 से 7 फीट की उंचाई ले लेते हैं। उस दौरान पौधों की टहनियों को आपस में उलझा देने से जालीनुमा एवं बाडऩुमा आकार में पौधे ढल जाते हैं एवं वे एक हेज का रुप ले लेते हैं। जिसको पार कर खेत में प्रवेश कर पाना आवारा पशुओं के लिए संभव नहीं हो पाएगा।
इस प्लान का खर्च महज कुछ हजार रुपए ही है, जबकि खेत में तारबंदी के लिए ठेकेदार 10 फीट की दूरी के हिसाब से भी प्रति खम्भा 660 रुपए की दर से वसूल करता है जो कई गुना महंगा है। सामूहिक रुप से भी चक सिस्टम के हिसाब से किसान इसे लागू कर सकते हैं।
40 बीघा जमीन पर महज 800 रुपए खर्च माधोसिंह ने बताया कि मॉडल प्लान के तहत उन्होंने अपने गांव में 40 बीघा जमीन के चारों और 1 फीट गहरी तवी निकाली। 1 गज वर्ग में 8 से 10 बीज के हिसाब से पुरी खाई में डाल दिए। वर्तमान में यह सभी बीज अंकुरित हो चुके हैं। इस कार्य में बीज के हिसाब से उनकी लागत महज 800 रुपए ही आई। जबकि तारबंदी करके सुरक्षा व्यवस्था करने में यह राशि कई हजारों में होती। इस प्लान को कई किसान अपने खेत में लागू करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
उनका कहना है कि अन्य किसान भी इसी व्यवस्था को अपनाए तो निश्चित ही उन्हें खेत में खड़ी फसलों की सुरक्षा को लेकर चिंता खत्म होगी व आवारा पशुओं, जानवरों से फसल को खतरा भी समाप्त हो जाएगा। प्लान को लेकर हाल ही में उन्होंने कृषि विभाग के उपनिदेशक से भी विस्तार से चर्चा की है।