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जोधपुर

-एक साल में 565 बच्चों का कराया पुनर्वास

– बिछुड़े बचपन को परिवार से मिलाता बाल अधिकारिता विभाग

जोधपुरMay 26, 2019 / 06:08 pm

Amit Dave

jodhpur

-एक साल में 565 बच्चों का कराया पुनर्वास

जोधपुर।

हर दिन औसतन एक-दो बच्चे किन्हीं कारणों से अपना घर छोड़ आते है फिर अपनों से मिलाए जाते है। एक साल में एेसे 550 से ज्यादा बच्चे सामने आए हैं जिनके घर छोडऩे के कारण कहीं गुमशुदा है तो कहीं भिक्षावृत्ति, कहीं बालश्रम है तो कहीं बहलाना-फुसलाना है । इस प्रकार के बच्चों के बेहतर पुनर्वास के लिए काम कर रहा है राज्य सरकार का बाल अधिकारिता विभाग। जो अपने घर से बिछुड़े इन बच्चों को उनके माता-पिता से मिला रहा है साथ ही अपने संरक्षण में रहते हुए इनके रहने, खाने व शिक्षा की व्यवस्था भी कर रहा है।

इन कारणों से घर से दूर होते बच्चे

1. विधि से संघर्षरत- इस श्रेणी में बच्चे आते है, जो गलती से कोई अपराध कर लेते है। इन बच्चों को आम अपराधियों की तरह जेल में नहीं रखकर किशोर न्याय बोर्ड के निर्देशानुसार विभाग के अधीन बाल किशोर गृह में रखा जाता है। जहां इन्हें सुधारा जाता है। निर्धारित समयावधि के बाद परिजनों को सौंप दिया जाता है। इस श्रेणी में कुल 332 बाल अपचारी है।
2. देखभाल-संरक्षण की आवश्यकता वाले- इस श्रेणी में वे बच्चे आते है। जिनके घर छोडऩे के कई कारण होते है। इनमें लापता होना, घर से भाग जाना, अनाथ, बालश्रम, भिक्षावृत्ति करना, परित्यक्त, वैश्यावृत्ति, पोक्सो एक्ट, चाइल्ड ट्रेफिकिंग, आवारा-लावारिश बच्चे शामिल है। किसी के द्वारा बहला-फुसलाकर घर छोड़ देने वाले बच्चे भी इस श्रेणी में आते है।

देखभाल-संरक्षण की आवश्यकता वाले 281 बच्चे

गुमशुदा– 02

बालश्रम– 73

अनाथ– 89

भिक्षावृत्ति– 26

लावारिश–23

परित्यक्त– 03

आवारा– 09

विशेष देखभाल वाले-45

अन्य किसी प्रकार के संरक्षण के लिए– 11
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कुल——– 281

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48 बच्चे अभी केन्द्र में

वर्तमान में विधि से संघर्षरत बाल अपचारियों में 298 बच्चों का पुनर्वास कर दिया गया है। इस श्रेणी के 34 बच्चे अभी केन्द्र में है। इसी प्रकार देखभाल-संरक्षण की आवश्यकता वाले 267 बच्चों का पुनर्वास कर दिया गया है और वर्तमान में 14 बच्चे केन्द्र में रह रहे है। इनके अलावा संभाग स्तर का बालिका गृह भी है। जहां इन श्रेणियों की बालिकाओं को रखा जा रहा है। —
इनका कहना है

सरकार के नियमानुसार विभाग के बाल सुधार गृह में रह रहे बच्चों को रहने, खाना व शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहित कई तरीकों से बच्चों को सुधारकर उनके परिजनों से मिला रहे है। इसमें आमजन व पुलिस का सहयोग भी मिल रहा है। विभाग अपने स्तर पर बच्चों के परिजनों को भी ढूंढ़ रहा है।
डॉ. बीएल सारस्वत, सहायक निदेशक

बाल अधिकारिता विभाग, जोधपुर

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