script90 वर्ष पुराने कन्हर नदी के उद्गम स्थल के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा | The existence of the 90 year old origin place of Kanhar river is in da | Patrika News
जशपुर नगर

90 वर्ष पुराने कन्हर नदी के उद्गम स्थल के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा

अनदेखी: अब नेशनल इनोवेशन फोरम करेगा नदी के सरंक्षण का हर संभव प्रयास

जशपुर नगरApr 10, 2024 / 11:57 pm

SUNIL PRASAD

कन्हर नदी के उद्गम पर नदी की धारा को ठीक करते गांव के लोग।

People of the village repairing the flow of the river at the origin of the Kanhar river.

जशपुरनगर. जशपुर जिले में जलस्तर की रेड जोन की स्थिति, एवं जिले में गहराते जल संकट को देखते हुए नेशनल इनोवेशन फोरम ने नदियों के सरंक्षण की दिशा में अभियान तेज कर दिया है, जिससे समय रहते नदियों के उद्गम स्थलों को संरक्षण मिले एवं नदियों का जलस्तर गर्मियों में भी संतुलित बना रहे। लोगों में काई जागरुकता से कन्हर नदी के सरंक्षण को लेकर ग्रामीणों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। 2019 से लेकर अब तक कन्हर नदी के उद्गम स्थल के सरंक्षण को लेकर अब तक कई बार चरणबद्ध अभियान चलाया गया है एवं उद्गम स्थल की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। जानकार लोगों ने बताया कि नदियों के उद्गम स्थलों को बचाने का कार्य चरणबद्ध रूप से चलेगा, सरंक्षण के लिए पैरामीटर्स एवं कार्ययोजना तैयार की जाएगी, स्थल की सुरक्षा के लिए पौधरोपण भी किया जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों को नदी के उद्गम स्थल एवं सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाएगा। जानकारी के अनुसार लगातार नदियों के उद्गम स्थलों के अतिदोहन एवं अतिक्रमण के कारण इन नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। कुछ समय पूर्व सूख चुके हैं एवं कई सूखने के कगार पर हैं, यदि यही हाल रहा तो आने वाले कुछ ही दिनों में इन नदियों का अस्तित्व भी मिट जाएगा। जल के अतिदोहन को रोककर, वर्षा जल को संचित कर जल का समुचित सरंक्षण एवं संवर्धन किया जा सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार यदि हम औसत वर्षा की आधी मात्रा को भी प्रत्येक गांव की 1-12 हेक्टेयर भूमि में एकत्र कर लिया जाए तो जिले में कहीं भी पीने के पानी की समस्या नहीं रहेगी।
उद्गम स्थल का वाटर लेवल काफी अच्छा- अप्रैल 2019 में उद्गम स्थल की सुरक्षा के लिए यहां कंटीले तार से सुरक्षा घेरा भी लगाया गया है, एवं उद्गम स्थल से 200 मीटर दूर एक ढोढ़ी का भी निर्माण किया गया है। सफाई एवं सुरक्षा के कारण यहां उद्गम स्थल का वाटर लेवल काफी अच्छा है एवं लोगों को सिंचाई के लिए जलापूर्ति भी हो रही है। पर्याप्त जल उपलब्ध होने के कारण इस इलाके में अब किसान नाशपाती की फसल भी ऊगा रहे हंैं। यह नदी जिले की प्रमुख एवं जीवनदायिनी नदी है, पेयजल का प्रमुख स्रोत होने के साथ-साथ यह सिंचाई का भी प्रमुख साधन है।
कई राज्यों की सीमा तय करती है कन्हर नदी- कन्हर इलाके की जीवनदायिनी होने के साथ साथ यह छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, झारखंड एवं मध्यप्रदेश राज्य की सीमा रेखा निर्धारित करती है। जशपुर जिले के मनोरा जनपद के लौमुरहा गांव के 2 छोटे जल कुंडों से निकलकर कन्हर नदी का 115 किमी का सफर मध्यप्रदेश के शहडोल एवं सतना जिले की सीमा पर स्थित सोन नदी में जाकर समाप्त होता है। दातरम, पेंगन, सिंदूर, गलफुला इसकी सहायक नदियां हैं। बलरामपुर जिले में इस नदी पर कन्हर प्रोजेक्ट स्थापित है। कन्हर के उद्गम की एक रहस्यमयी विशेषता यह भी है कि इस नदी के उद्गम स्थल के पवित्र जल से स्नान करने पर चर्म रोग अनायास ही दूर हो जाते हैं, क्योंकि इस पानी में सल्फर एवं आयरन की मात्रा अधिक है। गर्मियों में यहां का जल कुदरती तौर पर काफी अधिक ठंडा रहता है।
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