उद्गम स्थल का वाटर लेवल काफी अच्छा- अप्रैल 2019 में उद्गम स्थल की सुरक्षा के लिए यहां कंटीले तार से सुरक्षा घेरा भी लगाया गया है, एवं उद्गम स्थल से 200 मीटर दूर एक ढोढ़ी का भी निर्माण किया गया है। सफाई एवं सुरक्षा के कारण यहां उद्गम स्थल का वाटर लेवल काफी अच्छा है एवं लोगों को सिंचाई के लिए जलापूर्ति भी हो रही है। पर्याप्त जल उपलब्ध होने के कारण इस इलाके में अब किसान नाशपाती की फसल भी ऊगा रहे हंैं। यह नदी जिले की प्रमुख एवं जीवनदायिनी नदी है, पेयजल का प्रमुख स्रोत होने के साथ-साथ यह सिंचाई का भी प्रमुख साधन है।
कई राज्यों की सीमा तय करती है कन्हर नदी- कन्हर इलाके की जीवनदायिनी होने के साथ साथ यह छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, झारखंड एवं मध्यप्रदेश राज्य की सीमा रेखा निर्धारित करती है। जशपुर जिले के मनोरा जनपद के लौमुरहा गांव के 2 छोटे जल कुंडों से निकलकर कन्हर नदी का 115 किमी का सफर मध्यप्रदेश के शहडोल एवं सतना जिले की सीमा पर स्थित सोन नदी में जाकर समाप्त होता है। दातरम, पेंगन, सिंदूर, गलफुला इसकी सहायक नदियां हैं। बलरामपुर जिले में इस नदी पर कन्हर प्रोजेक्ट स्थापित है। कन्हर के उद्गम की एक रहस्यमयी विशेषता यह भी है कि इस नदी के उद्गम स्थल के पवित्र जल से स्नान करने पर चर्म रोग अनायास ही दूर हो जाते हैं, क्योंकि इस पानी में सल्फर एवं आयरन की मात्रा अधिक है। गर्मियों में यहां का जल कुदरती तौर पर काफी अधिक ठंडा रहता है।