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जांजगीर चंपा

मलेरिया की नहीं परवाह, बढ़ रहे पाजिटिव मरीज

विश्व मलेरिया दिवस: मच्छरों से बचाव और साफ- सफाई पर नहीं किसी का ध्यान, बम्हनीडीह बना डेंजर जोन, लोगों में भी नहीं बीमारी को लेकर जागरूकता। जिले में हर साल बड़ी संख्या में मामले आते है सामने, इस साल अब तक ५४ मामले आ गए सामने

जांजगीर चंपाApr 24, 2019 / 06:21 pm

Vasudev Yadav

मलेरिया की नहीं परवाह, बढ़ रहे पाजिटिव मरीज

मलेरिया की नहीं परवाह, बढ़ रहे पाजिटिव मरीज

जांजगीर-चांपा. मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति स्वास्थ्य महकमा बेपरवाह है। जिला मुख्यालय में भी नगर पालिका प्रशासन सफाई के प्रति गंभीर नहीं है। शहरीकरण के दौर में नगर सहित जिले की आबादी तो बढ़ रही है लेकिन साफ-सफाई और स्वास्थ्य सुविधा का विस्तार नहीं हो पा रहा है। नगर में हर ओर कचरे का ढेर है और नालियां भी जाम है। गंदगी के कारण मच्छरों को पनपने का मौका मिल रहा है, जिससे मलेरिया का खतरा बना रहता है। गांवों में भी मलेरिया का कहर कम नहीं है। लोगों में भी इस बीमारी के प्रति जागरूकता अभाव दिखता है। बुखार होने पर सामान्यतया मलेरिया टेस्ट कराने की बजाए लोग एंटीबायटिक लेकर काम चला लेते हैं। बीमारी बढऩे पर वे अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है। स्वास्थ्य विभाग की टीम जब मलेरिया कहर बरपाना शुरू करता है तो वहां जाकर दवाई का छिड़काव करता है। इसके पहले विभाग सो रहा होता है। लगातार इस संबंध में दवा का छिड़काव सहित अन्य उपाय नहीं करते है। पिछले साल बम्हनीडीह क्षेत्र में मलेरिया ने कहर बरपाया था, जिसमें ५० लोग चपेट में आए थे। आनन- फानन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया प्रभावित कई गांव में कैंप लगाकर इलाज किया गया। गौर करने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मैदानी अमले को सतर्क व जिम्मेदारी का एहसास कराने के बजाए किसी की मौत के बाद गांव में कैम्प लगा देते हैं और घटना के बाद लकीर पिटते हुए प्रशिक्षण या कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। मलेरिया के मरीज लगातार इजाफा हो रहा है। इधर स्वास्थ्य विभाग मना रहा जीरो मलेरिया स्र्टा विथ मी मना रहे है। तीन साल के आंकड़ो पर गौर करे तो २०१७ में ३९५ केस पाजिटिव मिले थे। २०१८ में यह आंकड़ा बढते हुए ५८५ पर पहुंच गया था। अभी तीन माह में ही इस साल ५४ केस सामने आ चुके है। इधर स्वास्थ्य बोल रहा मलेरिया मुक्त जिला हो रहा है। लेकिन आंकड़ा में तो लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

मलेरिया के डेंजर जोन बम्हनीडीह
जिले में मलेरिया के लिए पहले पामगढ़, बलौदा और बम्हनीडीह को डेंजर जोन के रूप में चिन्हांकित किया गया था। लेकिन इस दायरे में अब केवल बम्हनीडीह क्षेत्र ही डेंजर जोन चिन्हांकित किया गया है। जहां हर साल बड़ी संख्या में मलेरिया पाजिटिव के केस सामने आते है। २०१८ में तो यहां ४९७ मलेरिया पाजिटिव केस सामने आए थे। अभी इस साल ४२ सामने आ चुके है। अन्य विकासखंड में भी एक दो मलेरिया के केस सामने आ ही रहे है।

क्या है कारण
मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। गंदगी और जल जमाव से शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छर पनपने लगा है। शहरों में तो कुछ हद तक पढ़े लिखे व संपन्न लोग मच्छर से बचने के लिए आवश्यक जतन कर लेते हैं लेकिन देहातों में मच्छर से बचाव के लिए परंपरागत धुंआ के अलावा कुछ और उपयोग करने की क्षमता लोगों की नहीं है, इस कारण वे जानलेवा मलेरिया के चपेट में आ जाते हैं।

मेडिकेटेड मच्छरदानी भी नहीं मिलती
सरकार द्वारा मच्छर से बचने के लिए पहले मेडिकेटैड मच्छरदानी का वितरण किया जाता है। जहां मलेरिया के डेंजर जोन वहां तक पूरे के पूरे मच्छरदानी का वितरण किया जाना है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही वितरण का काम नहीं हो पा रहा है। जिससे यह बड़ा बीमारी लगातार फैल रहा है। जिला मलेरिया अधिकारी डा. एमडी तेंदवे ने बताया कि मच्छरदानी का मांग किया गया है। ११ हजार मच्छरदानी की मांग किए है। आने के बाद डेंजर जोन बम्हनीडीह क्षेत्र में वितरण किया जाएगा।

बचाव के उपाय
– अपने घर के आसपास जलजमाव न होने दें।
– हैंडपंप के पास किसी तरह की गंदगी न रहने दें।
– सोते समय मेडिकेटेड मच्छरदानी का उपयोग करें।
– बुखार आने पर तुरंत जांच कराकर ब्लड टेस्ट कराएं।
– हर हाल में मच्छरों को घर से दूर रखने का प्रयास करें।

वर्ष मलेरिया टेस्ट पाजिटिव
२०१७ २ लाख ३९५
२०१८ २ लाख ५८५
२०१९ ५५ हजार ५४ अब तक

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