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जांजगीर चंपा

तालाबों का अस्तित्व खतरे में, हो रहा बेजाकब्जा

पंचायत प्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान, जिससे बेजाकब्जाधारियों के हौसले है बुलंद

जांजगीर चंपाFeb 19, 2019 / 09:20 pm

Shiv Singh

तालाबों का अस्तित्व खतरे में, हो रहा बेजाकब्जा

तालाबों का अस्तित्व खतरे में, हो रहा बेजाकब्जा

जांजगीर-चांपा. गांव के तालाबों का अस्तित्व खोता जा रहा है। बेजलाकब्जाधारी तालाब को लील रहे है। जल्द ही पंचायत प्रतिनिधि व प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दिए तो निस्तारी के लिए तालाब नहीं बच पाएगा। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को ही भुगतना पड़ेगा।
ऐसा ही हाल केरा के तालाबों का है जहां ग्रामीण बेजाकब्जा कर रहे। कई लोग तो तालाब किनारे घर के अलावा बने पचरी को भी अपने घर में मिला लिए है। कई बार शिकायत के बाद अतिक्रमण हटवाने की मांग की लेकिन नतीजा नहीं निकला। लोगों की निस्तारी व मवेशियों की सुविधा के लिए बनवाए गए तालाब पर अब लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया है। जिन लोगों के घरों तालाब किनारे है उनमें उन्होंने कूड़ा डालकर इसे किनारे से भर दिया है और फिर उसी पर पक्का निर्माण कराकर कब्जा कर लेते है। तालाब पर अतिक्रमण होने से पानी का संकट भी पैदा हो गया है। लोगों को अपने मवेशी नहलाने व पानी पिलाने के लिए तालाब पर ले जाना पड़ता था लेकिन जब तालाब पर अतिक्रमण होना शुरू हो गया तो इसका पानी भी सूख गया है। हालत यह है कि अब तालाब में धुल उड़ती दिखाई देती है। तालाब का स्वरूप भी सिकुड़कर छोटा हो गया है जिससे यहां पर लोगों का आना जाना कम हो रहा है। ग्राम केरा में नया तालाब, बर तालाब, मगरहा, तेलहा बेलहा तालाब, टोनही तालाब व डबरी ताला सहित १५ से २० तालाब है लेकिन बेजाकब्जाधारियों का सभी तालाब पर नजर है। तालाब के पास बेजाकब्जा कर अपने घर बना रहे है। जिससे तालाब का क्षेत्र सिकुंडता जा रहा है। अगर जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो तालाबों का गांव में नामोनिशान ही नहीं रहेगा।

होटल व घरों का गंदा पानी पहुंचता है तालाब में
तालाब के आसपास कई होटल व घर है। होटल का पूरा गंदगी व घरों से निकलने वाला गंदा पानी डोंगिया, नया तालाब सहित अन्य तालाब में ही पहुंच रहा है। जिससे पानी भी गंदा होने लगा है। लोग वहां निस्तारी करने के लिए मजबूर है। उनके पास दूसरा कोई आप्शन भी नहीं है। जिससे संक्रमण बीमारी फैलना का खतरा बना हुआ है।

डोंगिया तालाब के पचरी को घेर लिया
गांव का सबसे बड़ा व बड़ी संख्या में आसपास के लोग निस्तारी डोंगिया तालाब में करते है। इसे बेजाकब्जाधारी लोग नहीं बख्श रहे है। यहां निस्तारी के लिए पचरी का निर्माण हुआ था। उसको भी एक व्यक्ति द्वारा अपने घर में ही मिला लिया है। जिससे गांव के कोई उस पचरी का उपयोग नहीं कर सकते है। वह व्यक्ति बेजाकब्जा कर अकेले उस पचरी का उपयोग कर रहा है।

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