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जांजगीर चंपा

कलेक्टर साहब जिला अस्पताल की ओर तो दीजिए ध्यान, समय पर नहीं पहुंच रहे डाक्टर

कलेक्टर को अपने चेंबर से बाहर निकलने की फुर्सत नहीं, जिला मुख्यालय का ही हाल बेहाल, जिला अस्पताल में भटकते है मरीज, समय पर नहीं पहुंचते डाक्टर

जांजगीर चंपाFeb 18, 2019 / 08:46 pm

Shiv Singh

भटकते है मरीज, समय पर नहीं पहुंचते डाक्टर

कलेक्टर साहब जिला अस्पताल की ओर तो दीजिए ध्यान, समय पर नहीं पहुंच रहे डाक्टर

जांजगीर-चांपा. समय सुबह ८ बजे ओपीडी का मुख्य दरवाजा नहीं खुला था। ओपीडी के बाहर बड़ी संख्या में मरीज बैठे रहे। ८ बजकर १७ मिनट में खुला ओपीडी मुख्य गेट। तब तक मरीज बाहर ही बैठकर इंतजार करते रहे। ओपीडी का मुख्य गेट खुलते ही मरीज अंदर पहुंचे। यह नजारा है जिला अस्पताल का। अस्पताल आए मरीजों को समय पर इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए सुबह ८ बजे डाक्टरों को ड्यूटी पर पहुंचना होता है, लेकिन वे समय नहीं पहुंचते। सुबह ८ बजे आने की जगह दो से ढ़ाई घटा लेट पहुंचते है। सोमवार को पत्रिका टीम सुबह ८ बजे जिला अस्पताल पहुंचे। दो घंटे का समय बिताया। डाक्टरों के ड्यूटी पर आने के समय पर नजर रखी। टीम पिछले दो दिनों से जिला अस्पताल में नजर रख रही है, शुक्रवार को भी दोपहर १ बजे जिला अस्पताल पहुंचे थे। ताकी स्थिति का पूरा जानकार मिल सके।

सोमवार को सुबह ९.४५ बजे पर डा. चक्रवर्ती पहुंचे। हाजरी लगाई फिर अपने चेंबर पर जाकर बैठ गए। इसी तरह ९.५५ पर सोनोग्राफी करने वाले डाक्टर एस सिदार जिला अस्पताल पहुंचे। बायोमेट्रिक्स मशीन से अगूंठा लगाया और इधर गप्पे हांकते रहा। सोनोग्राफी कक्ष के बाहर महिलाओं की काफी भीड़ ८.३० बजे से ही लगी हुई थी। वे १० बजे सोनोग्राफी कक्ष पहुंचे। इसके बाद डा. एनके धुर्वे का जिला अस्पताल में १० बजे एंट्री हुआ। तब तक ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच गए थे। कोई सीना में दर्द तो कोई शहरी में खुजली तो कोई हार्ट प्राब्लम सहित सर्दी बुखार के मरीजों की लाइन लगी हुई थी। १० बजकर ५ मिनट में एकमात्र डाक्टर ओपीडी कक्ष में प्रवेश कर मरीजों को देखना शुरू किया। इसके बाद दंत रोग विशेषज्ञ डा. व्हीके पैगवार, डा. बसुंधरा कश्यप १०.१० बजे जिला अस्पताल पहुंची।

याद आते है पूर्व कलेक्टर सोनमणी बोरा
कलेक्टर नीरज बंसोड को अपने चेंबर से ही निकलने की फुर्सत नहीं है। इसके पहले आए कलेक्टर सोनमणी बोरा को जिले के लोग आज भी याद करते है। वे जिला अस्पताल में सुबह ७ बजे ही बैठ जाते थे। टाइम में नहीं आने वालों का वेतन भी रोक दिए थे। लेकिन इस कलेक्टर को गांव को छोड़ो जिला मुख्यालय की समस्या से भी कोई सरोकार नहीं है। क्योकि वे निरीक्षण के लिए कभी अपने चेंबर से निकले ही नहीं है।

हर दिन की रहती है यही स्थिति
जिला अस्पताल में डाक्टरों के लेट पहुंचने की स्थिति एक दिन की नहीं है। बल्कि यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता का आलम यह है कि लेटलतीफी को लेकर कोई देखना वाला तक नहीं है।

८ बजे से कर रहा हूं इंतजार
घुठिया से पहुंचे ६५ वर्षीय जगजीवन का कहना है कि डाक्टरों का सुबह ८ बजे से इंतजार कर रहा हूं। ९.३० बजे तक कोई भी डाक्टर नहीं पहुंचा है। ऐसी स्थिति में वह ओपीडी कक्ष से बाहर पर्ची कटा डेढ घंटा से बैठे रहे।

साढ़े १०.३० बजे ही मिलते है डाक्टर
सिवनी से पहुंची शकुंतला बाई का कहना है कि वह बीपी व शुगर का इलाज के लिए ९ बजे पहुंचे थे। मुनुंद से पहुंचे किशन कश्यप का हार्ड में दर्द होने से जिला अस्पताल पहुंचे थे। जब उनसे पूछा गया तो उनका

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