याद आते है पूर्व कलेक्टर सोनमणी बोरा
कलेक्टर नीरज बंसोड को अपने चेंबर से ही निकलने की फुर्सत नहीं है। इसके पहले आए कलेक्टर सोनमणी बोरा को जिले के लोग आज भी याद करते है। वे जिला अस्पताल में सुबह ७ बजे ही बैठ जाते थे। टाइम में नहीं आने वालों का वेतन भी रोक दिए थे। लेकिन इस कलेक्टर को गांव को छोड़ो जिला मुख्यालय की समस्या से भी कोई सरोकार नहीं है। क्योकि वे निरीक्षण के लिए कभी अपने चेंबर से निकले ही नहीं है।
हर दिन की रहती है यही स्थिति
जिला अस्पताल में डाक्टरों के लेट पहुंचने की स्थिति एक दिन की नहीं है। बल्कि यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता का आलम यह है कि लेटलतीफी को लेकर कोई देखना वाला तक नहीं है।
८ बजे से कर रहा हूं इंतजार
घुठिया से पहुंचे ६५ वर्षीय जगजीवन का कहना है कि डाक्टरों का सुबह ८ बजे से इंतजार कर रहा हूं। ९.३० बजे तक कोई भी डाक्टर नहीं पहुंचा है। ऐसी स्थिति में वह ओपीडी कक्ष से बाहर पर्ची कटा डेढ घंटा से बैठे रहे।
साढ़े १०.३० बजे ही मिलते है डाक्टर
सिवनी से पहुंची शकुंतला बाई का कहना है कि वह बीपी व शुगर का इलाज के लिए ९ बजे पहुंचे थे। मुनुंद से पहुंचे किशन कश्यप का हार्ड में दर्द होने से जिला अस्पताल पहुंचे थे। जब उनसे पूछा गया तो उनका