300 गांव चपेट में
पंजाब में जालंधर और कपूरथला जिलों में डेढ सौ गांव बाढ की चपेट में है। इनमें से सत्तर गांव पूरी तरह डूबे हुए है। रोपड और फिरोजपुर जिलों को भी शामिल करते हुए अभी पंजाब में 300 गांव बाढ की चपेट में है।
यहां टूटे तटबंध, चल रहा राहत कार्य
कपूरथला जिले के टिब्बी और सारवाल गांव तथा जालंधर जिले के मंडाला में सतलुज के तटबंध टूटे है। इस कारण हजारों ग्रामीणों को छतों पर रात गुजारनी पडी है। हजारों एकड में फसल नष्ट हुई है और हजारों लोग छतों पर अटके है। सेना की पश्चिमी कमान की कई टीमें पंजाब और हरियाणा में राहत कार्यों में लगी है।
तीन हैलीकाॅप्टर और होंगे तैनात,छतों पर रहने को मजबूर लोग
कपूरथला के उपायुक्त डीपीएस खरबंदा के अनुसार सतलुज नदी के कपूरथला की ओर मुडने के कारण कई तटबंध पानी का दवाब नहीं झेल पाए। बाढ में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने का काम जारी है। साथ ही टूटे तटबंधों को भरने का काम भी शुरू किया गया है। जालंधर के लोहियां गांव में करीब आठ सौ लोग छतों पर रात गुजार रहे है। जालंधर के उपायुक्त वीरेन्द्र शर्मा के अनुसार लोहियां गांव में फंसे लोगों को भोजन व पानी पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री ने तीन हैलीकाॅप्टर तैनात करने की मंजूरी दी है।
संगरूर जिले को घग्गर से ख़तरा
उधर संगरूर जिले के कई गांवों में घग्गर नदी में उफान से बाढ का खतरा मंडरा गया है। घग्गर का जलस्तर 745 फीट पर पहुंच गया है जबकि इसका खतरे का निशान 750 फीट पर है। पिछले जुलाई माह में जिले में घग्गर की बाढ से 10 हजार एकड में खडी फसल नष्ट हो गई थी। किसानों का कहना है कि राज्य सरकार नेअ लम्बे समय से घग्गर के तटबंधों की मरम्मत नहीं करवाई है। इस कारण बाढ का खतरा बना हुआ है।
प्राकृतिक आपदा घोषित
राज्य सरकार ने इस बाढ़ को प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। इसके चलते बाढ प्रभावित लोग बीमा कम्पनियों से अपने नुकसान के दावे कर सकेंगे। इसके लिए गांव को इकाई माना जाएगा। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार रावी एवं ब्यास नदियों में हालत काबू में है।