दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा सम्पन्न: चैत्री पूर्णिमा के दिन ब्रह्मसर दादावाड़ी में लगा भक्ति का ठाठ
कुशल दर्शन मित्र मण्डल बाड़मेर की ओर से पूर्णिमा पर विशेष गुरु दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया। कुशल दर्शन मित्र मंडल के कार्यकर्ता भूरचंद स्टील व दिनेश लूणिया ने बताया कि ब्रह्मसर तीर्थोद्वारक मनोज्ञसूरीश्वर महाराज की प्रेरणा से 17 वर्ष पहले शुरू यात्रा की शुरुआत की गई थी।
कुशल दर्शन मित्र मण्डल बाड़मेर की ओर से पूर्णिमा पर विशेष गुरु दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया। कुशल दर्शन मित्र मंडल के कार्यकर्ता भूरचंद स्टील व दिनेश लूणिया ने बताया कि ब्रह्मसर तीर्थोद्वारक मनोज्ञसूरीश्वर महाराज की प्रेरणा से 17 वर्ष पहले शुरू यात्रा की शुरुआत की गई थी। मंगलवार को चैत्री पूर्णिमा के उपलक्ष में 220वीं यात्रा बाड़मेर से जैसलमेर, लौद्रवपुर, ब्रह्मसर तीर्थ की यात्रा कराई गई। उन्होंने बताया कि यात्रा संघ सैकड़ों गुरुभक्तों के साथ स्थानीय आराधना भवन बाड़मेर से प्रात: 6 बजे रवाना होकर जैसलमर व लौद्रवपुर तीर्थ पहुंचा, जहां पाŸवनाथ दादा के दर्शन कर पूजा-अर्चना की गई और जैसलमेर में पुराने मंदिरों के दर्शन व पूजा करने के बाद लौद्रवा में मनोकामना पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष, अधिष्ठायक नागदेवता, प्राचीन रथ सहित अधिष्ठायक घंटाकर्ण महावीर देव व दादा गुरूदेव के दर्शन वंदन का लाभ लिया। इस अवसर पर लोद्रवा पाŸवनाथ दादा के पक्षाल व केशर पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारो ने पूजन में पाŸवनाथ दादा के भजनों की प्रस्तुतियां दी। पूजन के बाद संघ लौद्रवपुर से ब्रह्मसर की ओर प्रस्थान कर गया। ब्रह्मसर ट्रस्टी कैलाश बागचार व प्रवक्ता पवन कोठारी बताया कि ब्रह्मसर दादावाडी प्रांगण में अध्यक्ष दानमल डूंगरवाल जोधपुर की उपस्थिति में दादा जिनकुशल सूरी गुरुदेव की बड़ी पूजा का आयोजन किया गया व जिन कुशलसूरी गुरूदेव के चरण पादुकाओं के आगेे पूर्णिमा को गुरु के नव अंगों की केशर से पूजा की गई। दोपहर में गुरु के चरणों मे अष्ट प्रकारी महापूजन का आयोजन किया गया। प्रकाश पारख एण्ड पार्टी द्वारा भजनो की शानदार प्रस्तुतियां दी गई। गुरुभक्त राजू पारख सूरत, दिनेश लूणिया, शंकुतला छाजेड, लक्ष्मी जैन जैसलमेर की ओर से प्रस्तुत भजन पलके ही पलके बिछाएंगे, जिस प्यारे दादा घर आएंगे, गुरूवर तेरे चरणों की थोड़ी, धूल जो मिल जाए एवं पूनम का है दिन दादा आज थाने आणो है भजन …पर भक्त जमकर झूमे। महापूजन के बाद आरती का आयोजन किया गया।
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