खाद्य पदार्थ संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि सरकार के पास एेसा कोई सिस्टम नहीं है कि वह व्यापारियों को एमएसपी पर खरीद करने के लिए बाध्य कर सके, क्योंकि मंडी का व्यापार विदेशी भावों पर चलता है।
सरकार ने मूंगफली पर एमएसपी तो बढ़ा दिया है लेकिन मौजूद खरीफ सीजन में ही यहां हजारों टन मूंगफली का स्टॉक पड़ा है, एेसे में भावों में और नरमी के संकेत बन रहे हैं। यही हाल दालों का है।
मंडी कारोबारियों का कहना है कि सरकार द्वारा तय किए गए भाव में तो कोई खरीदने वाला नहीं है, क्योंकि पहले से ही स्टॉक पड़ा है।इस समय राज्य की मंडियों में खरीफ की दलहनी फसल मूंग, मोठ, उड़द आदि एमएसपी से 500 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। मोटे अनाजके भाव भी समर्थन मूल्य से नीचे चल रहे हैं।
हाल ही में कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने खरीफ फसलों का एमएसपी बढ़ाए जाने पर कहा था कि यह बढ़ोत्तरी कम है। सरकार को खरीद और भंडारण का उचित प्रबंध करना चाहिए। उन्होंने एमएसपी आधारित फार्मूला सी-2 प्लस 50 प्रतिशत का उदाहरण देते हुए बताया कि खाद्य सुरक्षा, मिडे मील और अनुकूल खरीद नीति को प्रभावी तरीके से लागू कर उपभोग को बढ़ाया जा सकता है।