सुनवाई के दौरान पीडि़त लाबू सिंह के वकील ने याचिकाकर्ता केवल चंद डकलिया को प्रॉक्सी कहा, तो डकलिया के वकील ने पीडि़त पर राजनीति से प्रेरित होकर शिकायत करने का आरोप लगाया। डकलिया के वकील के तकनीकी सवाल उठाने पर लाबू सिंह की ओर से कहा गया कि गरीब की कहीं सुनवाई नहीं होगी क्या, इस मामले में गजेन्द्र सिंह का नाम है। यह भी सवाल उठाया कि 15 करोड़ की कंपनी के 100 करोड़ के शेयर कैसे ट्रांसफर हुए। इस पर डकलिया की ओर से अधिवक्ता वीआर बाजवा ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता का पक्ष सुना ही नहीं गया है। इसके अलावा कथित पीडित व्यक्ति मामला दर्ज होने के महीनों बाद उस समय कोर्ट आया है, जब राजनीतिक माहौल गर्म है। इसलिए मामला राजनीति प्रेरित है।
मामला राजनीति प्रेरित होने का आरोप लगने पर सरकारी पक्ष की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने आपत्ति की, जिसके बाद बाजवा ने कहा कि उनका आरोप एसओजी पर नहीं है। डकलिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि परिवादी ने अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। इसी दौरान लूथरा ने कहा कि अधीनस्थ अदालत को रिवीजन में अभियुक्त पक्ष को सुनने की आवश्यकता नहीं है। राजकीय अधिवक्ता राजेन्द्र यादव ने अधीनस्थ अदालत का आदेश सुनाते हुए कहा कि आदेश सामान्य है, इसमें कुछ भी दोषपूर्ण नहीं है।
संजीवनी पीडि़त संघ ने 1300 पीडि़तों की सूची पेश कर संघ को पक्षकार बनाने का आग्रह किया, वहीं 4 अन्य पीडि़तों ने भी पक्षकार बनने की इच्छा जताई है। एडीजे कोर्ट के आदेश के खिलाफ है याचिका
गुमान सिंह व लाबू सिंह ने जयपुर महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश कर नवप्रभा बिल्टेक, ल्यूसिड फार्मा, जन कंस्ट्रक्शन, अरिहंत ट्रियेटर और इनके कर्ताधर्ताओं को बिल्डिंग बनाने के लिए दी गई राशि का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था। साथ ही, कहा कि उनके मामले मे एसओजी ने आरोपितों के खिलाफ जांच नहीं की है और न ही उनको गिरतार कर संपति को जब्त किया है। इसी मामले में एडीजे क्रम 8 जयपुर महानगर द्वितीय ने एसओजी को पहले से दर्ज मामले के साथ ही इस मामले के अनुसंधान के आदेश दिए।
सोसायटी में 30 जून 2019 तक 2 लाख 14 हजार 472 निवेशकों का कुल 883.88 करोड़ रुपए जमा है। दस्तावेज में 55,781 लोगों को 1090 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत कर रखा था। इस राशि का एक हिस्सा नेताओं, उनके रिश्तेदारों की कंपनियों में निवेश किया गया और संपत्तियां बनाई गई। इसी वजह से पीडि़तों ने कोर्ट में कहा कि जिन नेताओं के नाम रेकॉर्ड में दर्ज है उनकी जांच हो और जो संपतियां बनाई गई उनको जब्त किया जाए।