गौरतलब है कि गत मंगलवार को जेडीए चौराहा (
JDA ) पर पुनीत पाराशर और उसके भाई विवेक को टक्कर मारकर अकाल मौत के मुंह में भेजने वाले चालक के खिलाफ अधिकारियों ने आइपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लेकिन पुलिस ने मृतक के रिश्तेदारों को मुआवजा नहीं मिलने की बात कहकर गुमराह किया और चालक के खिलाफ दुर्घटना की साधारण धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया।
फिर शुक्रवार को जेडीए चौराहे पर दुर्घटना होने पर चालक सिद्धार्थ के नशे में मिलने पर भी एएसआई प्रहलाद ने एफआइआर दर्ज होने से पहले ही जमानत मुचलका भर चालक को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया। इसके बाद एएसआइ को निलम्बित कर अन्य पुलिसकर्मियों को चेताया।
ये भी पहुंचीं शिकायतें – दुर्घटना होने के बाद दुर्घटना थाना पुलिस समय पर मौके पर नहीं पहुंचती, इससे आरोपी चालक भाग निकलते हैं. – हादसे के बाद पीडि़त का इलाज करवाने और वाहन क्लेम वैसे ही मिलने का झांसा देकर आरोपी चालक के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती..
– घायल के परिजनों को ‘पहले इलाज करवाओ, फिर कार्रवाई कर लेना’ कहकर एफआइआर (
FIR ) दर्ज नहीं करती, आरोपी चालक को लाभ पहुंचाती है मुकदमा दर्ज कराने पर कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे, समय और रुपए बर्बाद होंगे।
होना यह चाहिए.. लापरवाह वाहन चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लाइसेंस रद्द करवाने के लिए परिवहन विभाग (
transport Department rajasthan ) को लाइसेंस (
driving license ) भेजना चाहिए।
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