मस्जिद से आगे गली में जाने पर पहले दुकानदार की बात याद आ गई, जिसने कहा था कि आगे जाते जाओ खुद पता चल जाएगा। यहां गली बहुत छोटी थी, दोनों तरफ नालियों से बदबू उठ रही थी। जैसे वर्षों से सफाई नहीं हुई हो। यहां वीडियो बनाते और फोटो लेते समय कुछ बच्चे पास आ गए। वहां एक दुकानदार अब्दुल ने बताया, देखो… वर्षों से ऐसे ही हाल हैं। दस दिन से कचरा नहीं उठा। कभी बजट तो कभी संसाधनों की कमी बताकर काम टाल दिए जाते हैं। आगे जाकर आप खुद देख लीजिए।
मध्यम व निम्नवर्गीय लोग अधिक यहां मध्यम व निम्नवर्गीय लोग अधिक रहते हैं। ज्यादातर लोग छोटा-मोटा व्यवसाय, मजदूरी या नौकरी करते हैं। समस्याओं को लेकर सजग तो हैं लेकिन राजनीतिक दलों की उपेक्षा से परेशान हैं। यहां से बाहर निकलते ही आया इलाका अतिव्यस्त और अति संवेदनशील में गिना जाता है। यहां लावारिस पशुओं, सीवरेज, कम दबाव से जलापूर्ति, सड़कों पर अतिक्रमण जैसी समस्याओं से भी लोग त्रस्त हैं।
असमान विकास, कहीं रोष तो कहीं संतोष
शहर का ऐसा इलाका, जहां प्रवेश करते ही आभास हो जाता है कि आगे हालात क्या होंगे। वहां सीकर हाउस के बारे में पूछा तो आगे जाने के लिए कहा गया। हालांकि उम्मीद के विपरीत बाहर ही नहीं बल्कि गलियों में भी सीमेंट की पक्की-चौड़ी सड़कें थीं। आगे जाने पर हाजिरीगाह दिखा, जो खुला तो था लेकिन बातचीत के लिए वहां कोई नहीं मिला। आगे बढऩे पर सड़क से सटा बड़ा सा कारखाना नजर आया। वहां अब्दुुल रशीद ने कहा, 15 साल में पूरी खुदाई कर सड़कें बनाई गई हैं। माली कॉलोनी में बढिय़ा रोड बनी है। मोहम्मद इकबाल ने बताया, हिंदू-मुस्लिम मतदाता लगभग बराबर हैं।
वापस हाजिरीगाह की ओर लौटने पर मिले दो युवकों ने कहा, विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ। अंदर के इलाकों में जाकर देखिए, गंदगी पसरी पड़ी है, नालियां जाम हैं। सड़कों पर दोनों ओर अतिक्रमण हैं। वाहन तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल होता है। सीवरेज पर फेरोकवर नहीं हैं। मस्जिद की तरफ बहुत बुरे हालात हैं। यहां वकील खान ने बताया, अंदर जाएंगे तो हालात सामने आ जाएंगे। युवकों के साथ उनके बताए रास्ते पर आगे बढऩे पर जाम के हालात से सामना हुआ। वहां बड़ी नालियां थीं लेकिन उन्हें देखकर लगा कि सफाई कभी हुई ही नहीं। ढकी हुई भी नहीं थीं। आगे भी कई जगह ऐसा ही हाल दिखा। दोनों युवक आगे गली में लेकर गए। वहां आसपास से जुटे लोगों ने बताया, 5 साल में कोई काम नहीं हुआ।