ऑपरेशन थियेटर में उम्मीद ये की जाती है कि देखे होंगे। एक प्रतिष्ठित अस्पताल में, प्रसूति के लिए मरीज ऑपरेशन की टेबल पर है और दो डॉक्टर्स के बीच किसी बात को लेकर इस तरह तनातनी हो गई कि प्रसूता का ख्याल तक नहीं रहा और आरोप है कि इसी बीच नवजात की मौत ही हो गई। मामले का शायद खुलासा ही नहीं होता अगर ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर्स की लड़ाई की फुटेज लीक नहीं हुई होती…समझिए मुद्दा इस रूप में कि ओटी के बाहर प्रसूता के परिजन ना जाने किस उम्मीद में बैठे हुए होंगे ? कितनी चिंताएं और कितनी दुआएं लब पर होंगी…ऑपरेशन थियेटर के बाहर लगी लाल बत्ती जलते ही भावनाओं का ज्वार उमड़ने लगा होगा कि ईश्वर करें सब कुछ ठीक हो…जच्चा,बच्चा स्वस्थ रहे…ऑपरेशन थियेटर में ज्यादा वक्त न गुजारना पड़े। मगर अंदर क्या हो रहा था ?
डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है और जोधपुर के ऑपरेशन थियेटर में ईश्वरीय रूप कहे जाने वाले दो डॉक्टर,प्रसूता की चिंता छोड़ आपस में लड़ाई में व्यस्त थे। सिर्फ जोधपुर की ये घटना ही नहीं, पिछले दिनों
उदयपुर के अस्पताल से खबर आई थी कि ऑपरेशन थियेटर के भीतर से परिजनों के लिए एक पर्ची आई। आम तौर पर जरूरी दवाओं की पर्ची ऑपरेशन थियेटर से आती है मगर उदयपुर में समोसे,कचौरियां लाने की पर्ची मरीज के परिजनों को थमा दी गई थी। इसी तरह राजस्थान के आदिवासी अंचल बांसवाडा में दो महीने से भी कम वक्त में 80 से ज्यादा नवजात मौत की आगोश में चले गए और वजह ये रही कि प्रसूताओं और नवजात की ठीक से देख-रेख नहीं हो पाई। न उचित पोषण मिला और न ही सही ईलाज..इसीलिए हम सवाल उठा रहे हैं कि लापरवाही की हद, सर्जरी होगी कब ?
राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आंकडा देख लीजिए। आंकडे बताते हैं कि राजस्थान में जीडीपी का सिर्फ दो फीसदी हिस्सा हेल्थ सेक्टर पर खर्च होता है। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में कई अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं। निजी अस्पतालों में दस प्रसूताओं में से छह प्रसूताओं की सिजेरियन डिलेवरी होती है। सरकारी अस्पतालों में ये अनुपात सिर्फ 10:3 का है। राजस्थान में शिशु मृत्युदर का आंकड़ा तय लक्ष्य से 40 फीसदी उपर है। प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में से करीब 250 महिलाएं दम तोड़ देती है। पंचवर्षीय योजना के मुताबिक 2017 में ये 210 प्रति लाख तक लाने का लक्ष्य रखा गया था। राजस्थान में सरकारी और निजी एलोपैथी डॉक्टर करीब 38 हजार हैं। जनसंख्या के अनुपात में देखें तो दो हजार पर एक डॉक्टर उपलब्ध है। ये आंकड़े वाकई चिंताजनक हैं। पत्रिका प्राइम टाइम डिबेट…
जोधपुर की इस घटना से सरकार से लेकर आम जनता तक सकते में है। पत्रिका प्राइम टाइम डिबेट में हमनें सीधे लाइव फोनो से प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ को जोड़ा। जोधपुर मे ऑपरेशन थियेटर में हुई घटना पर तीखे सवाल किए साथ ही बांसवाड़ा में दो महीनों के भीतर 80 से ज्यादा बच्चों की मौत का मामले पर भी सवाल दागे। सवालों में बेकाबू होता स्वाइन फ्लू भी था जिसमें मांडलगढ़ की विधायक कीर्ति कुमारी भी बच नहीं पाई। देखिए इन सवालों पर क्या है प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के जबाव …प्राइम टाइम डिबेट के इस हिस्से में….
दोषी डॉक्टर्स को सख्त सजा मिलेगी -कालीचरण सराफ दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं का आलम ये हैं कि सरकारी अस्पताल खुद बीमार नजर आते हैं और निजी अस्पतालों में मरीज और परिजनों के हितों का कोई खैर-ख्वाह नजर नहीं आता। केन्द्र सरकार ने स्टंट और नी रिप्लेसमेंट के महंगे खर्चों पर अंकुश लगाने का फैसला किया मगर सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था दुरुस्त नहीं और निजी अस्पतालों ने ओटी और अन्य सुविधाओं में इजाफा कर अपना घाटा पूरा करने का जतन शुरु कर दिया।
मुद्दा ये हैं कि हम किस रूप में देख रहे हैं स्वास्थ्य सेवाओं को….न्यू इंडिया में ना जोधपुर जैसी घटनाएं चाहिए, ना बांसवाडा जैसी घटनाएँ और ना ही गोरखपुर में बच्चों की मौतों के सिलसिलेवार एपीसोड चाहिए। देखिए क्या है समाधान के रास्ते…डिबेट के इस महत्वपूर्ण हिस्से में जहां कांग्रेस के प्रतिनिधि डॉ.धूप सिंह पूनियां, भारतीय जनता पार्टी की प्रतिनिधि शील धाबाई, राजस्थान सेवारत चिकित्सा संघ के संयुक्त सचिव डॉ.राजीव शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र शर्मा के साथ स्वास्थ्य महकमे की पूरी पड़ताल की।