अच्छे अंक लाने के बाद भी छात्रों को उनकी योग्यातानुसार कॉलेज नहीं मिलने के कारण छात्र और उनके अभिभावक काफी परेशान है। इस संबंध में छात्रों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिया है। छात्रों ने आरोप लगाया है कि नीट की काउंसलिंग हमेशा विवादों में रही है। छात्रों का कहना है कि हर वर्ष काउंसलिंग की प्रक्रिया ऑफ लाइन होती थी। ऑफ लाइन प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच पहले होती है एवं उसके बाद सीट अलॉट की जाती है। इस वर्ष प्रक्रिया बदली गई एवं उसे ऑन लाइन किया गया। ऑन लाइन सीट अलॉटमेंट से पूर्व दस्तावेजों की जांच नहीं की गई, जिसके कारण बहुत से ऐसे छात्र जो पात्र नहीं थे उन्हें भी सीट अलॉट हो गई।
इसका नतीजा ये हुआ की दर्जनों ऐसे छात्र जिन्होंने एम्स, एएफएमसी, जेआईएमपीईआर के जरिए अन्य कॉलेजों में प्रवेश ले रखा है उन्हें भी राजस्थान की काउंसलिंग के अंतर्गत सीट अलॉट कर दी। इन छात्रों ने जब प्रवेश नहीं लिया तो ये सीट खाली रह गई। एेसे में इन खाली सीट्स को मोप अप राउंड में लाना पड़ा। हाल ही १४ अगस्त को हुई काउंसलिंग कमेटी की बैठक के मिनिट्स बुक में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि ऑफ लाइन काउंसलिंग होती तो यह कंट्रोवर्सी नहीं होती।
मोप अप राउंड में काउंसलिंग बोर्ड ने फिर एक बड़ी गलती की, जिसके कारण पूरे मोप अप राउंड को ही रद्द करना पड़ा। काउंसलिंग बोर्ड की इन गलतियों का ही परिणाम राजस्थान के प्रतिभाशाली छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। एक तरफ जहां अच्छी मेरिट वाले छात्रों को दूर दराज के नए मेडिकल कॉलेजेस में प्रवेश लेना पड़ रहा है वहीं कम मेरिट वाले छात्रों को राज्य के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश मिल रहा है। अच्छी मेरिट के बावजूद पेमेंट सीट लेनी पड़ी रही है, जबकि कम मेरिट वाले छात्रों को फ्री सीट मिलने जा रही है। इस वजह से हजारों छात्रों एवं उनके अभिभावकों में गहरा असंतोष है और वो पिछले कुछ दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरना देकर बैठे हैं।
हाईकोर्ट ने फ्रेश मॉपअप पर रोक लगा दी। साथ ही एमसीआई को भी निर्देश दिए कि वे पूर्व में निर्धारित 19 अगस्त की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाए। इस पूरे मामले में सरकार 19 तारीख को सुनवाई में अपना पक्ष रखेगी। उधर इस मामले में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने टॉपर स्टूडेंट की पीड़ा समझी। डॉ. शर्मा ने काउंसलिंग बोर्ड के सदस्यों के साथ बैठक की और उन्हें निर्देश दिए कि मेरिट-रिजर्वेशन के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाए। 28 अगस्त तक प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश।