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जयपुर

ब्याज रहित ऋण के लिए इंतजार कर रहे राजस्थान के लाखों किसानों के लिए चिंता की खबर

किसान सहकारी बैंक ऋण देने के लिए नाबार्ड के रियायत दर पर बजट मिलने के इंतजार में बैठे थे। इसी बीच नाबार्ड ने वित्तीय संसाधन का अभाव बताते हुए रियायत के बजाय महंगी ब्याज दर पर बजट लेने के लिए कह दिया।

जयपुरSep 22, 2019 / 03:00 pm

santosh

ऐसा क्या हुआ कि किसान अपनी ही फसल पर चला रहे ट्रेक्टर

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जयपुर। ब्याज रहित ऋण के लिए इंतजार कर रहे किसानों के लिए चिंता की खबर है। सहकारी बैंक ऋण देने के लिए नाबार्ड के रियायत दर पर बजट मिलने के इंतजार में बैठे थे। इसी बीच नाबार्ड ने वित्तीय संसाधन का अभाव बताते हुए रियायत के बजाय महंगी ब्याज दर पर बजट लेने के लिए कह दिया।

 

लगातार दो बार कर्जमाफी से वित्तीय संकट झेल रहे सभी जिलों के केन्द्रीय सहकारी बैंकों ने महंगी ब्याज दर वहन कर से मना कर दिया। ऐसे में राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) ने फिर नाबार्ड को पत्र लिख कर पूर्व स्वीकृत साख सीमा के तहत रियायत दर पर बजट मांगा है। ब्याज मुक्त ऋण के लिए सहकारी बैंकों ने इस वर्ष ऑन लाइन आवेदन की व्यवस्था की है। इसपर करीब बीस लाख किसान आवेदन कर चुके हैं। बैंक करीब 13 लाख किसानों को ही लोन वितरित कर पाए हैं।

 

करीब सात लाख किसान अभी ऋण के इंतजार में बैठे हैं। खरीफ सीजन के लिए किए गए आवेदन पर ऋण उपलब्ध कराने की समय सीमा 30 सितम्बर तय कर रखी है। नाबार्ड ने पुनर्भरण के तहत प्रदेश के सहकारी बैंकों के लिए साख सीमा 20 अगस्त को 3700 करोड़ रुपए तय की थी। इस साख सीमा में से बजट उलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को अपेक्स बैंक ने 16 सितम्बर को पत्र लिखा था। नाबार्ड ने वित्तीय संसाधन का अभाव बताते हुए स्वीकृत साख सीमा के तहत रियायत दर पर बजट उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया।

 

नाबार्ड ने रियायत दर (4 प्रतिशत) के बचाय उच्च ब्याज दर (7.55 प्रतिशत) पर बजट उलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव से सभी जिलों के केन्द्रीय सहकारी बैंकों की चिंता बढ़ गई। बैंक वर्तमान स्थिति में उच्च ब्याजदर वहन करने के लिए तैयार नहीं है। बैंकों की इस स्थिति का हवाला देते हुए अपेक्स बैंक ने एक दिन पहले फिर नाबार्ड को पत्र लिखा है। नाबार्ड से रियायत दर पर ही बजट मांगा गया है।सरकार ने जो दिया वह बकाया चुकाने में ही खर्च हो गया।

 

पहले कर्ज माफी 2018 और फिर कर्जमाफी 2019 लागू हो से जिलों के केन्द्रीय सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति बिगड़ गई है। सरकार ने अभी तक जो बजट उपलब्ध कराया है, उसका उपयोग बकाया चुकाने में ही हो रहा है। गत वर्ष का बकाया करीब तीन हजार करोड़ रुपए नाबार्ड को चुकाया गया है। अभी दो हजार करोड़ रुपए और चुकाने हैं। इसके अलावा एनसीडीसी (नेशनल डेयरी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन) से लिए लोन की किस्त भी चुकाई जा रही है।

 

बावजूद इसके सरकार पूरा बजट उपलब्ध नहीं करा रही है। इस तरह समझें किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) को 4.50 प्रतिशत ब्याज दर पर बजट उपलब्ध कराता है। इसको अपेक्स बैंक को 4.70 प्रतिशत की दर से सभी जिलों के केन्द्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) को देता है। सीसीबी इसे ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) को 5 प्रतिशत ब्याज तर पर देती है। किसानों को जीएसएस सात प्रतिशत ब्याज पर देती है।

 

किसानों के लिए इस ब्याज पर तीन प्रतिशत नाबार्ड तथा चार प्रतिशत राज्य सरकार अनुदान देती है। नाबार्ड प्रतिवर्ष रियायत दर पर पुनर्भरण उपलब्ध कराने के लिए साख सीमा तय करती है। राज्य के लिए रियायत दर पर साख सीमा 3700 करोड़ रुपए तय की थी। इसके अलावा उच्च ब्याज दर (7.55 प्रतिशत) की साख सीमा भी तय करती है। इस वर्ष अतिरिक्त साख सीमा 1500 करोड़ रुपए तय की है।

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