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जयपुर

पर्यावरण को स्वच्छ रखेंगे गोबर के गणेश!

इस बार प्लास्टर ऑफ पेरिस के साथ-साथ बड़ी तादाद में गोबर व भी खासकर गायों के से गणेशजी की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है। इको फ्रेंडली ये प्रतिमाएं काफी पसंद की जा रही है।

जयपुरSep 03, 2016 / 10:25 pm

Ajay Sharma

Ganesh Chaturthi : Sinjara Today

Ganesh Chaturthi : Sinjara Today

जयपुर. प्लास्टर ऑफ पेरिस को पर्यावरण और शरीर के लिए नुकसानदायक माना जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी पर प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी हजारों प्रतिमाओं को जलाशयों में विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के दौरान यह बात भी डइती है कि श्रद्धा के चक्कर में हम लोग कहीं न कहीं प्रकृति को प्रदूषित कर रहे हैं। इस बार एेसा कम होगा? क्योंकि इस प्लास्टर ऑफ पेरिस के साथ-साथ बड़ी तादाद में गोबर व भी खासकर गायों के से गणेशजी की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है। इको फ्रेंडली ये प्रतिमाएं काफी पसंद की जा रही है।
गोबर को आसान प्रक्रिया से प्रतिमा के लिए किया जाता तैयार

कृषि विपणन विभाग में सहायक निदेशक जयपुर के विष्णुदत्त शर्मा इसके लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। शर्मा गोकथा वाचक हैं, जो कथा के साथ लोगों को गोबर से मूर्तियां और धूपबत्ती बनाने का प्रशिक्षण देते हैं। अभी चित्तौडग़ढ़ जिले में गोबर से गणेशजी की 11 फीट ऊंची प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। शर्मा के अनुसार गोबर को सुखाकर, फिर पीसकर पाउडर बनाया जाता है। उसमें मैदा लकड़ी का पाउडर व गोंद मिलाकर सांचे में ढाला जाता है। एक प्रतिमा की लागत महज 20 रुपए पड़ती है। एक घंटे में 8-10 मूर्तियां बनाई जा सकती हैं, जो रंग-रोगन के बाद दमकने लगती हैं।
पुराना इतिहास रहा है एेसी प्रतिमाओं का

विष्णुदत्त के मुताबिक प्राचीन समय में गोबर से बने गणेशजी को घरों के दरवाजे पर स्थापित किया जाता था। गोबर की मूर्ति को विसर्जित करने पर जल में ऑक्सीजन की मात्रा घटती नहीं, बढ़ती है। इसी के मद्देनजर चित्तौडग़ढ़ नगर परिषद ने ऐसी प्रतिमाएं बनाने वले समूहों को 10 हजार रुपए अनुदान भी दिया। शर्मा ने बताया कि पिछले दिनों हिंगोनिया गोशाला में भी प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था।
छोटी काशी में बिना सूंड के गणेशजी

छोटी काशी यानि जयपुर में एक ऐसा गणेश मंदिर भी है, जहां बिना सूंड के गणेश की प्रतिमा स्थापित है। गणपति पुरुष आकार की प्रतिमा वाला यह देश का संभवत: एक मात्र मंदिर है। यह मंदिर है माउंट रोड पर कदम्ब कुंड के ऊपर पहाड़ी पर स्थित गढ़ गणेश। मंदिर के महंत प्रदीप औदिच्य बताते हैं कि महाराजा सवाई जयसिंह ने जैपर की स्थापना के समय अश्वमेघ यज्ञ करवाकर गणपति की स्थापना करवाई। इसलिए यह अश्वमेघ के पूजित गणपति भी कहे जाते हैं। शहर पर इनकी नजर और कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहे, इसलिए यह प्रतिमा पहाड़ी पर स्थापित करवाई गई। गणेश चतुर्थी के दौरान प्रतिमा को विशेष पोषाक पहनाने की बजाय पुष्प माला और पत्तों से विशेष शृंगार किया जाता है। नाहरगढ़ की पहाडिय़ों से सटे पहाड़ पर स्थित गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिए कदम्ब कुण्ड और गैटोर की छतरियों के पास से रास्ता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 365 सीढिय़ा चढऩी पड़ती है।
मोती डूंगरी में चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे गणपति

गणपति बप्पा का जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी का पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। मंदिरों के साथ घरों में भी गणेशजी की पूजा-अर्चना होगी। इससे पहले रविवार को गणेशजी का सिंजारा महोत्सव मनाया जाएगा। जिसके तहत विघ्नहर्ता को मेहंदी अर्पित की जाएगी। छोटी काशी के सभी मंदिरों में करीब पांच हजार किलो मेहंदी अर्पित की जाएगी। मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में शनिवार को गणपति के सामने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि रविवार से मुख्य कार्यक्रम होंगे। रविवार को सिंजारा व मेहंदी पूजन में गणेशजी को ब 3100 किलो मेहंदी अर्पित की जाएगी। शाम 7 बजे भगवान का विशेष शृंगार कर चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। भक्तों में रात्रि 9 बजे तक मेहंदी का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
यहां भी होंगे आयोजन

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में मोदकों की झांकी सजाई गई। दिल्ली रोड पुरानी चुंगी स्थित बंगाली बाबा गणेश मंदिर में तीन दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरूआत शनिवार को महाध्वजा अर्पण के साथ हुई। रविवार को शाम 4 बजे प्रभु को मेहंदी अर्पित की जाएगी। चांदपोल परकोटे वाले गणेश मंदिर में दुग्धाभिषेक व 1008 मोदकों का अर्पण किया जाएगा। शाम के समय 1100 दीपकों से महाआरती की जाएगी। जौहरी बाजार स्थित सिद्धि गणेश मंदिर, चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर में भी आयोजन होंगे
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