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जयपुर

बीसलपुर बांध : पानी का बदल रहा रंग

मानसून (monsoon) की बेरुखी के चलते सूखने के कगार पर पहुंच रहे बीसलपुर बांध (bisalpur dam) के पानी में मिट्टी (soil in water) की मात्रा बढऩे लगी है। घटते जल स्तर के साथ ही पानी का रंग भी बदलने लगा (changing color of water) है। साथ ही बीसलपुर बांध से पानी की आपूर्ति (water supply) भी कम कर दी गई है।

जयपुरJul 21, 2019 / 12:19 am

vinod

बीसलपुर बांध : पानी का बदल रहा रंग

बीसलपुर बांध (फाइल फोटो)

-बांध का 305.03 आरएल मीटर है गेज, कुल जलभराव क्षेत्र का 5.99 प्रतिशत पानी ही शेष
-पानी से 200 किलो की जगह निकलने लगा 600 किलो कचरा
-जल शोधन के लिए फिल्टर में बढ़ानी पड़ रही फिटकरी व क्लोरिन
जयपुर/राजमहल। मानसून की बेरुखी के चलते दिनोंदिन सूखने के कगार पर पहुंच रहे बीसलपुर बांध के गेज में होती गिरावट के साथ ही पानी में मिट्टी की मात्रा बढऩे लगी है। वहीं पानी का रंग भी घटते जल स्तर के साथ बदलने लगा है। बीसलपुर-टोंक-उनियारा पेयजल परियोजना के तहत फिल्टर होते पानी में अब क्लोरिन की मात्रा बढ़ानी पड़ रही है, वहीं फिटकरी भी दोगुना मात्रा में डालनी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि गत नवंबर से मार्च-19 तक एक ओर जहां पानी में कलर 17 टीसीयू (ट्रयू कलर यूनिट)होता था, वहीं अब जून में पानी की मात्रा घटने से बढ़कर 25 टीसीयू हो गया है। इसी प्रकार पानी की ट्रबोलिटी (मिट्टी का अंश) नवंबर से पूर्व पानी के भराव के समय 5 से 7 एनटीयू (नेफ्लोमेट्रिक ट्रबोलिटी यूनिट) था, जो अब बांध में जलस्तर की गिरावट के साथ ही बढ़कर 9 से 10 एनटीयू हो गया है। बीसलपुर टोंक-उनियारा-पेयजल परियोजना के राजमहल फिल्टर प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर शादाब खान ने बताया कि पहले एक माह में पानी से करीब 200 किलो स्लज (कचरा) निकलता था, जो अब बढ़ कर 600 किलो हो गया है। इसी प्रकार पूर्व में पानी को फिल्टर करने के लिए 8 से 10 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) फिटकरी का डालनी पड़ती थी, जो अब बढ़ाकर 18 से 20 पीपीएम डालनी पड़ रही है।
आरक्षित का आधा पानी ही हो सप्लाई

बीसलपुर बांध से टोंक जिले की बीसलपुर-टोंक-उनियारा पेयजल परियोजना के प्रथम व द्वितीय चरणों के तहत गांव व कस्बों में जलापूर्ति के लिए बांध से रोजाना 48 एमएलडी पानी लेना आरक्षित है, लेकिन बांध में पानी की कमी के कारण योजना के तहत अभी महज 19 से 20 एमएलडी पानी ही लिया जा रहा है। योजना के प्रथम चरण में टोंक, देवली व उनियारा शहरों को जलापूर्ति से जोडऩा था। वहीं द्वितीय चरण में 464 गांव व कस्बों में जलापूर्ति करना था, लेकिन द्वितीय चरण के तहत अभी 224 गांव व कस्बे ही योजना से जुड़े है। शेष गांव व कस्बों में अभी पाइप लाइन बिछाने का कार्य चल रहा है।
तीन पम्प आए बाहर

बीसलपुर-टोंक-उनियारा पेयजल परियोजना के बीसलपुर इंटेक पम्प हाऊस पर कुल नौ पम्प सैट लगे हुए है, लेकिन इन दिनों तीन पम्प सैट पानी की कमी के चलते उपर रह गये है। 6 पम्प सैट ही चालु है। ये पम्प सैट पानी के निचली सतह तक है।
घट रहा पानी बढ़ रही मांग

बीसलपुर-टोंक-उनियारा पेयजल परियोजना के तहत नवंबर से पहले प्रति माह बांध से लगभग 720 मिलियन लीटर पानी लिया जा रहा था, लेकिल बांध में पानी का जलस्तर घटने के साथ ही उच्चाधिकारियों के निर्देश पर नवंबर में माह में पानी की मात्रा घटाकर 532.8 मिलियन लीटर कर दी गई। दिसंबर में 554.5 मिलियन लीटर लिया गया। जनवरी में 535.9 मिलियन लीटर, फरवरी में 490.3 मिलियन लीटर मार्च में 554.5 मिलियन लीटर व मई जून में गर्मी के साथ ही पानी की मांग बढऩे पर वापस बढ़ाकर 618.3 मिलीयन लीटर पानी दिया जा रहा है।

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