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जयपुर

भाजपा को कही भारी न पड़ जाए इनकी बगावत! सियासी खेल में उलझा राजस्थान

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जयपुरNov 14, 2018 / 04:26 pm

dinesh

raje
आला नेतृत्व को गलत फीड से टिकट कटवाया
जिले के सहाड़ा विधानसभा से भाजपा विधायक डॉ.बालूराम चौधरी ने वर्ष 2013 में चुनाव जीता था, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट कर जिला परिषद सदस्य रूपलाल जाट को दिया है। टिकट काटे जाने के बाद राजनीति हलके में कई तरह की चर्चा है। लेकिन चौधरी अभी चुप्पी साधे हैं। डॉ. चौधरी पेश से चिकित्सक हैं और उदयपुर में उनका निजी अस्पताल है। उनसे मोबाइल पर हुई बातचीत में उनका दर्द यूं उभर कर आया।
मुझे Vasundhara Raje ने पुन: टिकट देने की बात कही थी। विधायक रहते मैंने राज्य सरकार की योजनाओं से आमजन को लाभ पहुंचाया। जहां तक टिकट कटवाने का सवाल है, विरोधियों ने भाजपा नेतृत्व को गलत जानकारियां दी, जैसे परिवार की आपसी लड़ाई। विरोधी पार्टी द्वारा संपर्क करने के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली। राज्य स्तर पर किस मजबूत नेता को नेतृत्व मिलना चाहिए, ये तो केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है। पार्टी में अब जमीनी रूप से काम करने वालों की उपेक्षा का कोई सवाल नहीं है। भाजपा नेतृत्व सोच समझ कर फैसला ले रहे हैं, टिकट एक को मिलना है, कोई भी कार्यकर्ता उपेक्षित नहीं समझे। परिणाम चाहे कुछ भी रहो, वे हमेशा पार्टी के साथ ही रहेंगे।
अब ध्यान बिजनेस पर लगाऊंगा, जनता के पास भी आता रहूंगा
जिले की आरक्षित सीट बयाना विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने वर्तमान विधायक Bachchu singh Banshiwal का टिकट काटकर 2013 में पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ी रितु बनावत को भाजपा ने टिकट दिया है। ऐसे में लाजमी है कि वर्तमान विधायक को यह भी बात चुभ रही है। पिछले दो दिन उनकी बगावत पर उतरने की खबर भी पार्टी में चल रही है। हालांकि, वह यह तो नहीं बोल रहे कि बगावत कर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इतना तो उनकी जुबां से निकल ही गया कि जब पार्टी ही बागी को टिकट दे रही है तो अब उनके बागी बनने से क्या फायदा।
काम करने वालों की कद्र नहीं होती है
देवेंद्र कटारा डूंगरपुर विधायक-
उन्होंने कहा स्थानीय स्तर से फीडबैक गलत भेजे जाने से उनके हाथ से यह अवसर गया है। मुझ पर जातिवाद के आरोप लगाए जा रहे हैं। अपनी जाति, समाज के लिए बात करना गलत तो नहीं है। मेरा टिकट कटने के बाद कार्यकर्ताओं की भावना है कि मैं चुनाव लडूं। कांग्रेस के टिकट फाइनल होने के बाद फिर विचार कर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर सकता हूं। और हां, यदि नामांकन दाखिल किया तो नाम वापस नहीं लूंगा। निश्चित रूप से चुनाव लडूंगा।
हालांकि टिकट के लिए पहले किसी ने मुझे आश्वास्त नहीं किया था, पर मुझे अपने काम के कारण टिकट का पूर्ण विश्वास था। मेरे टिकट कटवाने पर किसी एक का नाम क्या लूं। क्योंकि किसी एक के बस की बात भी नहीं थी। पार्टी नेतृत्व को ये जानना चाहिए था कि गत चुनाव में पहली बार डूंगरपुर की सीट भाजपा के खाते में आई थी। मैंने इतिहास बनाया था। आदिवासी, दलित, शोषित, मुस्लिम वर्ग की आवाज उठाई। चलो जो भी हुआ, पर मैं किसी अन्य पार्टी में जाऊंगा भी नहीं। रही बात जमीनी तौर पर काम करने वालों की उपेक्षा की, तो मैं तो ये ही कहूंगा, हां बिल्कुल काम करने वालों की कद्र नहीं है। मैंने भी हां में हां नहीं मिलाई, इसलिए मुझे दरकिनार किया गया है।

मैंने पार्टी की सेवा की, उपेक्षा आश्चर्यजनक
भाजपा की पहली सूची में चित्तौडगढ़ जिले की बड़ीसादड़ी सीट से विधायक गौतम दक का टिकट कटने के बाद से उनके समर्थकों में गहरी नाराजगी है। विरोध भी हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र के आठ में से सात मंडल अध्यक्ष दक को फिर प्रत्याशी बनाने की मांग करते हुए जिलाध्यक्ष रतनलाल गाडऱी को इस्तीफा सौंप चुके हैं। उन्होंने मंगलवार तक इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर बागी तेवर अपनाने की चेतावनी भी दे रखी है। हालांकि इस मामले में विधायक गौतम दक अभी खुलकर नहीं बोल रहे है।
उन्होंने पत्रिका से बातचीत में यहीं कहा कि पांच वर्ष तक क्षेत्र में हर वर्ग को साथ लेकर कार्य करने का प्रयास किया एवं कुछ कमियां रही तो लोगों से क्षमा याचना भी की। पार्टी की सेवा की व अब टिकट वितरण में उपेक्षा करना आश्चर्यजनक रहा है।
कार्यकर्ताओं ने जो प्रेम जताया है, उसके लिए आजीवन ऋणी रहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी की रीति-नीति पर हमेशा चलते रहने का प्रयास किया। दक ने भले स्वयं का टिकट काटे जाने के पीछे किसी नेता का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके समर्थक इसके लिए गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया एवं नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी को जिम्मेदार बता उनके खिलाफ नारेबाजी कर चुके हैं। दक ने अभी तक टिकट नहीं मिलने पर चुनाव मैदान में उतरने के भी कोई संकेत नहीं दिए।
बड़े नेताओं की जी-हुजूरी वाले ही बढ़ रहे आगे
सागवाड़ा विधायक अनीता कटारा ने टिकट कटने के बाद बागी तेवर दिखाना शुरू कर दिए है। उनका कहना है कि पार्टी ने अपना फैसला नहीं बदला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेगी। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अभी तक पार्टी की ओर से उनको किसी ने भी मनाने का प्रयास नहीं किया है। कटारा ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि प्रदेश के सभी बड़े नेताओं और कमेटी सदस्यों से मिली थी। सभी ने उनको कहा था कि आपका टिकट तो लगभग तय ही है। उन्होंने कहा कि जो लोग बड़े नेताओं जी हुजूरी करते हैं। वे ही पार्टी में आगे बढ़ रहे हैं।
जिस पार्टी के साथ जन-मन, मैं भी वहीं
टिकट कटने के बाद हबीबुर्रहमान का रुख अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की ओर हो रहा है। नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने भी कन्हैयालाल झंवर और हबीबुर्हमान के पार्टी में में आने के संकेत दिए थे। दरअसल, भाजपा ने इस बार हबीबुर्रहमान का टिकट काटकर नागौर से मोहनराम चौधरी को मौका दिया है। टिकट कटने के बाद से हबीबुर्रहमान ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। नागौर से पांच बार विधायक रहे हबीबुर्रहमान तीन बार कांग्रेस और दो बार बीजेपी से विधायक रहे हैं। उनके पिता हाजी उस्मान भी दो बार विधायक रहे हैं। भाजपा ने टिकट काटा तो हबीबुर्रहमान अशरफी लांबा नागौर से अब कांग्रेस की टिकट पर दावं रहे हैं। कांग्रेस में उनके टिकट को पर दो मत हैं। फोन पर हबीबुर्रहमान ने पत्रिका से बातचीत में अपने टिकट कटने पर कहा कि पार्टी ने फैसला किया है। मुझे इससे ज्यादा जानकारी नहीं है।

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