वित्त विभाग ने लौटा दी थी फाइल
वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के आखिर में पंचायत राज विभाग ने सहायक सचिव का पदनाम अतिरिक्त विकास अधिकारी तथा पंचायत प्रसार अधिकारी का पदनाम सहायक विकास अधिकारी करने के लिए नियमों के संशोधन का निर्णय लिया था। साथ ही अतिरिक्त विकास अधिकारी पद को राजपत्रित बनाने का निर्णय भी लिया गया था। इस संबंध में पत्रावली वित्त विभाग को भेजी गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने विधानसभा चुनाव आचार संहिता के चलते इसे लौटा दिया था।
ग्राम सेवक बन चुके ग्राम विकास अधिकारी
वसुंधरा सरकार में 5 अप्रेल, 2018 को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने ग्राम सेवक के पदनाम को ग्राम विकास अधिकारी के पदनाम में परिवर्तित करने का आदेश जारी कर दिया था। तत्कालीन ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कर्मचारी संगठनों से हुए समझौते की पालना में यह कदम उठाया। इस आदेश में साफ कहा गया है कि ग्राम विकास अधिकारी का पदनाम होने पर अभी अथवा भविष्य में न तो कोई अतिरिक्त वित्तीय लाभ मांगा जाएगा तथा ना ही इस पद को राजपत्रित घोषित करने की मांग की जाएगी।
अधिकारी ही अधिकारी दिखेंगे
पंचायतीराज तथा अन्य विभागों मे मंत्रालयिक संवर्ग के पदनामों में दो बार बदलाव हो चुका है। सहायक सचिव के समकक्ष कार्यालय अधीक्षक को अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी पदानाम लेकर राजपत्रित घोषित किया जा जा चुका है। ग्राम सेवक से पदोन्नत सहायक सचिव को राजपत्रित बनाने का कुछ कर्मचारी नेताओं ने विरोध किया तो उनसे कहा गया बताते हैं कि आप भी ऐसी मांग ले आइए, पूरी करवा देते हैं। पदनाम की राजनीति का यही आलम रहा तो भविष्य में सभी विभागों में अधिकारी ही अधिकारी दिखेंगे…कर्मचारियों का अभाव पैदा हो जाएगा।
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पंचायती राज विभाग में सहायक सचिव का पदनाम बदलकर अतिरिक्त सचिव करने तथा राजपत्रित घोषित करने के लंबित फैसले का प्रदेश की गहलोत सरकार ने क्रियान्वयन किया है। हम गहलोत सरकार के प्रति आभारी हैं।
– सोहन डारा, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान पंचायत प्रसार अधिकारी संघ