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जगदलपुर

अगर आप पुरुष है तो हो जाएं सावधान इन पांच कैंसर से

इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च के मुताबिक, भारत के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा प्रमुख कैंसर है, जो कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा होता है।

जगदलपुरMay 07, 2019 / 12:16 am

Deepak Sahu

cancer

अगर आप पुरुष है तो हो जाएं सावधान इन पांच कैंसर से

जगदलपुर. पुरुषों में बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किए गए पांच कैंसर प्रोस्टेट, ब्लैडर (मूत्राशय), किडनी, टेस्टीक्यूलर और पेनाइल कैंसर है। इसलिए समय पर बीमारी का पता लगाने और इलाज के लिए इनमें से हर एक के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में पता होना जरूरी है। हालांकि प्रोस्टेट कैंसर के बारे में सबसे ज्यादा बात की जाती है, लेकिन दूसरे कैंसर के बारे में जानना भी उतना ही जरूरी है।

प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में होता है, जो ब्लैडर (मूत्राशय) के बाहरी किनारे के आसपास की ग्रंथि है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च के मुताबिक, भारत के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा प्रमुख कैंसर है, जो कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा होता है। प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन एडवांस स्टेज में, यह यूरीन के रास्ते में रुकावट पैदा कर सकता है और यूरीन में खून आ सकता है।

ब्लड कैंसर

ब्लैडर (मूत्राशय) का कैंसर यूरीनरी ब्लैडर की असामान्य वृद्धि के कारण होता है। ब्लैडर कैंसर हालांकि मुख्य रूप से बुजुर्गों को शिकार बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह नौजवान पीढ़ी में भी फैल रहा है। ब्लैडर कैंसर के लिए स्मोकिंग 66% तक जिम्मेदार है।

रीनल कैंसर

किडनी का कैंसर ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी की कोशिकाएं खराब हो जाती हैं और ट्यूमर बनाने लगती हैं। ये किडनी के अंदर छोटे ट्यूबों के अस्तर में होता है। इस बीमारी ने दशकों से मुख्य रूप से बुजुर्गों को शिकार बनाया है, लेकिन अब नौजवान भी इसका शिकार हो रहे हैं।
इसके शुरुआती लक्षणों में पेशाब में खून आना, पीठ के किनारे लगातार दर्द या भारीपन, अनजाना बुखार, भूख न लगना, एनीमिया, बिना वजह वजन गिरना और पिंडली या पैरों में सूजन।

टेस्टीक्यूलर कैंसर

टेस्टीक्यूलर कैंसर टेस्टीकल्स (अंडकोष) का कैंसर है, जो कि पुरुष प्रजनन अंग है। 15-34 साल की उम्र के युवा पुरुषों में टेस्टीक्यूलर ट्यूमर सबसे आम है। इस कैंसर के लिए चेतावनी संकेतों में बिना तकलीफ के टेस्टीकल्स का बढ़ जाना, टेस्टीकल्स की थैली में भारीपन होना और टेस्टीकल्स में गांठ हो जाना शामिल हैं।

पेनाइल कैंसर

पेनाइल कैंसर में विकसित होता है। यह उन चंद कैंसर में से एक है, जिसे साफ-सफाई, खासकर ग्लान्स ***** (पेनिस का बाहरी किनारा) में सफाई रखने से रोका जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देश में पेनाइल कैंसर के मामले ज्यादा हैं और यह शहरी आबादी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा आम है।
पेनाइल कैंसर ग्लान्स या आगे की हिस्से की चमड़ी से फैलने से शुरू होता है। इसके शुरुआती संकेतों में शामिल हैं- ग्लान्स या आगे के हिस्से की चमड़ी का रंग बदलना, दर्द रहित या दर्दनाक अल्सर या किसी भी तरह की असामान्य वृद्धि।

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