इन जिलों में भेजा है गेहूं
जिले में एक लाख 10 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं नॉन एफएक्यू हुआ था। यह गेहूं जिले के बेयरहाउस के अलावा होशंगाबाद एवं छिंदवाड़ा जिला भी भेजा गया था। इनमें करीब 92 हजार मीट्रिक टन गेहूं छिंदवाड़ा, 7 हजार 500 मीट्रिक टन इटारसी एवं जबलपुर में करीब 13 हजार मीट्रिक टन गेहूं नॉन एफएक्यू हुआ। इस गेहूं को रखने से मना कर दिया गया था। गेहूं नहीं लिए जाने के कारण किसानों का करोड़ों रुपए का भुगतान अटक गया था।
इस पर प्रशासन ने जिन समितियों के द्वारा यह गेहूं खरीदा गया था, उनसे इसे ठीक करवाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसमें भी देरी किए जाने से किसान आज भी अपनी उपज के भुगतान के इंतजार में हैं। इस संबध में सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में बैठक हुई जिसमें जिला विपणन अधिकारी, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक और समितियों के प्रभारी मौजूद रहे। इसमें बताया गया कि जबलपुर में अभी भी करीब 400 मीट्रिक टन, छिंदवाड़ा में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा तो इटारसी में 300 मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं अमानक है। उसे साफ नहीं कराया जा सका है। ऐसे में जिन किसानों का गेहूं था, उन्हें उपज का भुगतान नहीं हो पा रहा है। यह राशि करीब 200 करोड़ रुपए है।
जिले में एक लाख 10 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं नॉन एफएक्यू हुआ था। यह गेहूं जिले के बेयरहाउस के अलावा होशंगाबाद एवं छिंदवाड़ा जिला भी भेजा गया था। इनमें करीब 92 हजार मीट्रिक टन गेहूं छिंदवाड़ा, 7 हजार 500 मीट्रिक टन इटारसी एवं जबलपुर में करीब 13 हजार मीट्रिक टन गेहूं नॉन एफएक्यू हुआ। इस गेहूं को रखने से मना कर दिया गया था। गेहूं नहीं लिए जाने के कारण किसानों का करोड़ों रुपए का भुगतान अटक गया था।
इस पर प्रशासन ने जिन समितियों के द्वारा यह गेहूं खरीदा गया था, उनसे इसे ठीक करवाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसमें भी देरी किए जाने से किसान आज भी अपनी उपज के भुगतान के इंतजार में हैं। इस संबध में सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में बैठक हुई जिसमें जिला विपणन अधिकारी, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक और समितियों के प्रभारी मौजूद रहे। इसमें बताया गया कि जबलपुर में अभी भी करीब 400 मीट्रिक टन, छिंदवाड़ा में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा तो इटारसी में 300 मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं अमानक है। उसे साफ नहीं कराया जा सका है। ऐसे में जिन किसानों का गेहूं था, उन्हें उपज का भुगतान नहीं हो पा रहा है। यह राशि करीब 200 करोड़ रुपए है।
तीनों जिलों में नॉन एफएक्यू गेहूं को ठीक करवाने के लिए समितियों को पांच दिनों का वक्त दिया है। ऐसा नहीं किया जाता तो शासन को पत्र लिखकर इन समितियों का कमीशन काटकर किसानों की राशि के भुगतान का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
डॉ सलोनी सिडाना, अपर कलेक्टर
डॉ सलोनी सिडाना, अपर कलेक्टर