यह है मामला
अभियोजन के अनुसार 13 मई 2018 को शहडोल जिले की सोहागपुर थाना पुलिस की टीम पेट्रोलिंग कर रही थी। उन्हें सूचना मिली कि सतना से एक ट्रक अवैध तरीके से गौवंश के पशु लेकर कोतमा अनूपपुर जा रहा है। रात करीब 3 बजे पुलिस टीम को सतना की ओर से ट्रक क्रमांक एमपी 19 एचए 3622 आता नजर आया। टीम ने उसे रोकने का प्रयास किया तो ड्राइवर ने गति कम करने की बजाय और बढ़ा दी। आननफानन में पुलिसकर्मियों ने कूद कर अपनी जान बचाई। इसकी सूचना वायरलेस पर कंट्रोल रूम को दी गई। पुलिस पार्र्टी ने अमलाई, अनूपपुर में फिर ट्रक को रोकने का प्रयास किया, लेकिन इस बार भी ड्राइवर ने वही हरकत करते हुए पुलिसकर्मियों को रौंदने का प्रयास किया। डीएसपी ने अपनी जीप से ट्रक का पीछा किया, लेकिन उन्हें ओवरटेक करने नहीं दिया गया। जीप को भी ट्रक ड्राइवर ने गिराने की कोशिश की। अंतत: कोतमा पशु बाजार में ट्रक घुस गया। जब तक ट्रक की घेराबंदी होती, ड्राइवर व उसमें सवार अन्य आरोपित भाग निकले। खलासी बबलू यादव को उतारकर पूछताछ की गई तो उसने बताया कि सतना के घटिया टोला निवासी उत्तम कुशवाहा बिलखुरा से भरकर ये पशु कोतमा में बेचने के लिए ले जा रहा था। उसके इशारे पर ही ट्रक ड्राइवर फजील ने पुलिसकर्मियों को रौंदने की कोशिश की।
वाहन चढ़ाने का हो गया प्रचलन
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 307, पशु क्रूरता निवारण एक्ट, गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, मप्र कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम व मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया। इसी मामले में गिरफ्तारी से बचने मुख्य आरोपी उत्तम कुशवाहा ने यह अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की थी। सरकारी वकील वाय डी यादव ने तर्क दिया कि आजकल रोकने का प्रयास करने वाले पुलिस या अन्य सरकारी कर्मियों पर वाहन चढ़ाकर भाग निकलने का प्रचलन हो गया है। हाल ही में एक पुलिसकर्मी की इसी तरह ट्रैक्टर से रौंद कर हत्या कर दी गई थी। लिहाजा अग्रिम जमानत न दी जाए। कोर्ट ने तर्क मंजूर कर अर्जी खारिज कर दी है।