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Diwali pujan muhurat: इस दुर्लभ मुहूर्त व लग्न में करें मां लक्ष्मी का पूजन, बनेंगे हर काम

दीपावली पूजन की वैदिक विधि व मुहूर्त

जबलपुरNov 06, 2018 / 10:25 pm

Premshankar Tiwari

Diwali pujan ki saral, vedic vidhi or muhurat in hindi

दीपावली पूजन की वैदिक विधि व मुहूर्त

जबलपुर। बंदनवार, फू ल-मालाओं से घर-द्वार सज गए हैं। धन की देवी के पूजन की तैयारियां पूरी हो गई हैं। रंग-बिरंगी लाइटिंग मंदिरों, घरों, प्रतिष्ठानों की शोभा बढ़ा रही है। बुधवार को हर घर में दीये जलेंगे और रोशनी से संस्कारधानी जगमगा उठेगी। दीपावली पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि-विधान से पूजन होगा। महालक्ष्मी की जय-जयकार होगी। संध्या बेला के शुभ मुहूर्त में मातारानी का पूजन किया जाएगा। लाई-बताशा, फल, पकवानों का भोग लगाकर प्रसाद बांटा जाएगा। ज्योतिषाचार्यों व वैदिक जानकारों का मानना है कि मां लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में ज्यादा उत्तम माना जाता है। आइए आपको भी मुहूर्त व अन्य विधि से अवगत कराते हैं।

मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष अनुष्ठान
कार्तिक अमावस्या पर दीवाली की रात श्रद्धालुओं द्वारा कई जगह सुख, समृद्धि व धन की प्राप्ति समेत अन्य मनोकामना पूर्ति के लिए अनुष्ठान भी आयोजित किए जाएंगे। पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार श्रीसूक्त, विष्णु सहस्त्रनाम, लक्ष्मी सूक्त, गोपाल सहत्रनाम का पाठ त्वरित फलदायी होता है। इस अवसर पर कमल के फू ल, कमल गटा, सोलह कमल फू ल चढ़ाने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि श्रीसूक्त का पाठ करने के साथ मां को कमल का पुष्प अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

महानिशा पूजन
दीपावली की रात में मैया लक्ष्मी का महानिशा पूजन भी किया जाएगा। इस विशेष पूजन में श्रद्धालुजन रतजगा करेंगे। अर्धरात्रि से सूर्योदय तक विशेष पाठ किया जाएगा। वैसे तो संध्या बेला से शुरू हुआ अनुष्ठान रात भर जारी रहेगा। इस दौरान लोग दीप जलाकर मंत्र जागरण भी करेंगे। जाप पूरा होने पर हवन किया जाएगा।

श्री यंत्र का पूजन
आचार्य पं. रामसंकोची गौतम के अनुसार दीवाली पर लक्ष्मी पूजा में श्रीयंत्र रखने का भी विधान है। श्रीयंत्र को महामेरु श्रीयंत्र भी कहा जाता है। श्रीयंत्र महालक्ष्मी का साक्षात स्वरूप है। इसकी स्थापना और पूजा से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मान्यता है कि जब सृष्टी में कुछ भी नहीं था, तब मां श्री विद्या के विचार से एक मेरु उत्पन्न हुआ। वही मेरु श्रीयंत्र कहलाया। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी देवियों का वास है। इसकी पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है।

इस तरह करें पूजन
सायंकाल या शुभ मुहूर्त के अनुसार स्नान करने के बाद स्थिर लग्न में पूजन प्रारंभ करें। इसके लिए अपने बैठने के लिए आसन बिछाएं और फिर सामने रंगोली, आटे या फिर अन्य उपयुक्त वस्तु से चौंक बनाएं। इस पर जलता हुआ कलश स्थापित के साथ गणेश लक्ष्मी और महागौरी का आह्वान करें। इसके बाद माता महालक्ष्मी और कुबेर आदि की प्रतिमा की स्थापना करके मां का आह्वान करें। जल स्नान, दुग्ध स्नान, शहद व पंचामृत स्नान कराने के बाद गणेश, गौरी, मां लक्ष्मी, कुबेर, इंद्र आदि देवताओं को अक्षत यानी चावल, जनेऊ, पुष्प, धूप, इत्र, सुगंधित अगरबत्ती, मिष्ठान्न, फल, लाई, बताशा, पान पत्र, आदि अर्पित करें। इसके बाद मिट्टी के दीपों को प्रज्जवलित करें और उनके पूजन के बाद इन दीपों को अपने घर में विभिन्न स्थानों, इष्ट देवताओं आदि को रखें। इसके बाद एकांत में बैठकर ऊं महालक्ष्मै नम: मंत्र का जाप करें। इससे मां सुख, समृद्धि और वैभव प्रदान करती हैं। अंत में कन्याओं या ब्राम्हणों को दृव्य दान भी करें।

चौघडिय़ा मुहूर्त
– सुबह 6 से 9, लाभ एवं अमृत
– 10 से 12 चर
– शाम 4.30 से 6 लाभ
– रात्रि 7.30 से 10.30 शुभ एवं अमृत

स्थिर लग्न के मुहूर्त
– प्रात: 6.56 से 9.13 वृश्चिक लग्न
– दोपहर 1.05 से 2.35 कुम्भ लग्न
– शाम 5.41 से रात्रि 7.38 वृषभ लग्न
– रात्रि 12.09 से 2.23 तक सिंह लग्न (महानिशा पूजन)
(मां लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में लाभ, शुभ व अमृत के चौघडि़ए में करना अति उत्तम माना जाता है)

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अन्नकूट पूजन
दीपावली के दूसरे दिन गुरुवार को अन्नकूट पूजन होगा। तीसरे दिन शुक्रवार को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।

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