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इंदौर

ग्रामीण भी बन रहे शुगर के मरीज, भारी पड़ रही आधुनिकता

– अगले 6 सालों में शहर और गांवों में बराबर होगी संख्या
 

इंदौरSep 30, 2019 / 10:37 am

Lakhan Sharma

ग्रामीण भी बन रहे शुगर के मरीज, भारी पड़ रही आधुनिकता

ग्रामीण भी बन रहे शुगर के मरीज, भारी पड़ रही आधुनिकता

इंदौर। अगले 6 सालों में गांवो में और शहरों में शुगर (डाइबिटीज) के मरीजों की संख्या बराबर हो जाएगी। कारण है कि ग्रामीण लोगों की जीवनशैली भी अब बदल रही है। पहले की तुलना में वे न व्यायाम करते हैं न ही मेहनत कर रहे हैं। अधिकांश काम मशीनरी पर निर्भर है, वहीं आधुनिकता भी इन पर भारी पड़ रही है। शहर में हुए एक कार्यक्रम में आए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने यह बात कही।
दरअसल एंडोक्राइन सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा देश में पहली बार ग्लूकोक्रिनोलॉजी कॉन्क्लेव 2019 का आयोजन किया गया। शहर में हुई इस कॉन्फे्रंस की खासियत थी कि इसमें डाइबिटीज से जुडी हर छोटी से छोटी बात पर चर्चा की गई। विश्व में पहली बार डायबिटिक के शरीर पर 360 डिग्री प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करने के लिए इस तरह की कॉन्फे्रंस की गई। सोसाइटी के प्रेसीडेंट डॉ. एसवी मधु ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में डायबिटीज से ग्रसित संपूर्ण वयस्क जनसंख्या में से 3 प्रतिशत गांवों में जबकि 12 प्रतिशत शहरों में रहती है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में रहने वाला हर 8वां व्यक्ति डाइबिटिक है, लेकिन इससे ज्यादा गंभीर मुद्दा यह है कि प्रदेश में शहरों और गांवों दोनों में 20 प्रतिशत लोग डाइबिटीज के हाई रिस्क पर हैं। यानी आने वाले 5 से 6 सालों में हमारी ग्रामीण जनसंख्या भी शहरी जनसंख्या के बराबर डायबिटीज की शिकार हो जाएगी। कार्यक्रम के आर्गेनाइजिंग सेके्रटरी डॉ. संदीप जुल्का ने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज भारत में ही हैं इसलिए अब दुनिया में भारत को डायबिटीज कैपिटल के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें भाग लेने के लिए देश भर से 300 डॉक्टर्स और अफगानिस्तान से दो डेलीगेट्स आए थे। इनमे से ज्यादातर डॉक्टर्स जनरल फिजिशियन, पीडियाट्रिक और गायनोकोलॉजिस्ट थे। आम तौर पर जब भी डायबिटीज के अन्य अंगों पर प्रभाव की बात की जाती है तो सिर्फ आंखों, गुर्दों और हृदय तक सीमित रह जाती है। जबकि डायबिटीज शरीर के हर छोटे-बढ़े अंग को प्रभावित करता है। डॉ. जुल्का ने बताया कि इससे बचने के लिए खानपान का सही हो, नियमित व्यायाम करें, तनाव से बचें, स्वभाव को शांत रखें और समय-समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहें।

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