स्कूल्स पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश स्कूल्स सोसायटी के लिए काम करने का दिखावा कर रहे हैं। कोई यह नहीं बता पाएगा कि उनके बच्चों ने अपने घर, पड़ोसी या समाज के लिए क्या किया? बच्चों के में लीडरशिप क्वालिटी का निर्माण करना, बेहतर लर्निंग विकसित करना होगा। किताबी ज्ञान या माक्र्स और कॉम्पीटिशन की दौड़ से बाहर निकालकर हमें क्रिएटिव लीडर्स तैयार करने हैं। हमारे देश इस तरह की एजुकेशन काफी पीछे हो गई है।
त्रिपाठी ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि अब सभी मूल्यांकनकर्ताओं को ट्रेनिंग देंगे। शुरुआत इंदौर से कर रहे हैं। यहां १ हजार टीचर्स को ट्रेनिंग देंगे फिर भुवनेश्वर में ट्रेनिंग देंगे। टीचर्स को ट्रेन करने की जिम्मेदारी प्रिंसिपल की होती है। उन्हें टाइम पर रिलीव करना होगा। हमने हाल ही में नए नियम जारी किए है कि अब स्कूल अपने स्तर पर भी टीचर्स को ट्रेनिंग दे सकती है। पहले सिर्फ सहोदया ही अधिकृत था। अब स्कूल खुद दो दिन की ट्रेनिंग कर सकता है।
पहले नियम जारी किया था कि पुनर्मूल्यांकन नहीं करेंगे। लेकिन हाई कोर्ट के ऑर्डर और काफी दबाव के बाद इसे दोबारा शुरू किया गया। जिन बच्चों ने अपनी कॉपीज दोबारा जांचने के आवेदन दिए, उनमें से 70 फीसदी बच्चों के अंक बढ़े हैं। 45 से 90 तक अंक बढ़े। एक अंक पर हजारों बच्चों का भविष्य टिका रहता है। वे सालभर मेहनत करते हैं लेकिन जब वे टेस्ट देते हैं तो हमारे और आपके टीचर्स इस तरह की जांच कर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर देते हैं। स्कूल्स मूल्यांकन के काम को गंभीरता से नहीं लेते। इसलिए सी या डी ग्रेड के टीचर्स कॉपी जांच करते हैं। हमने सख्ती भी की। गलती करने पर पिछले साल एक करोड़ रुपए से ज्यादा का फाइन कर 150 टीचर्स एक्सपेल भी किए हैं।
कॉन्फ्रेंस में मप्र सहित छत्तीगढ़, गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र से 281 प्रिंसिपल्स और 350 से ज्यादा टीचर्स ने हिस्सा लिया। यूजीसी पूर्व चेयरमैन वेदप्रकाश ने करिक्यूलम फॉर नेक्स्ट जनरेशन टॉपिक पर कहा कि सीबीएसई की शैक्षणिक ताकत तो स्कूल ही है। स्कूल्स को करिकुलम खुद बनाने चाहिए। हमारे संविधान में भी इसका उल्लेख है। आर्टिकल 41 (ए) में प्रिंसिपल्स की जिम्मेदारियां बताई गई है। बच्चों में भाषा विकसित करना, सामाजिक सोच, व्यवसायिक कौशल बढ़ाना, निर्णय क्षमता बढ़ाने आधारित पाठ्यक्रम विकसित किया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट एजुकेशन विंग के किशोर गर्ग ने भविष्य की पीढ़ी के लिए बदलते परिप्रेक्ष्य में टेक्नोलॉजी के महत्व को बताया।
सहोदय ग्रुप के अध्यक्ष मोहित यादव ने सीबीएसई सचिव से कहा, इंदौर सहोदय को टीचर्स और प्रिंसिपल्स ट्रेनिंग को सीइओ ट्रेनिंग के समकक्ष पात्रता मिलनी चाहिए। रीजनल कॉन्फ्रेंस को नेशनल कॉन्फ्रेंस की तर्ज पर मदद मिलनी चाहिए। अमजेर रीजन ऑफिसर संजीवदास, इंदौर सहोदय की सचिव रीना खुराना, यूके झा, कोषाध्यक्ष रुचि गांधी मौजूद थे। इस दौरान शिक्षाविद् माधव परांजपे, कविंदर कौर कलसी, सिंथिया जेम्स, मंजू व्यास को सम्मानित किया गया।