भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था। उन्होंने बेटे को टिकट देने की इच्छा जाहिर की थी जिस पर पार्टी ने आकाश को तीन नंबर से टिकट दे दिया। क्षेत्र की विधायक उषा ठाकुर को महू में उतारा गया। इसके पीछे भाजपा के गणितज्ञों ने कई जोड़-घटाव किए थे जो अब वह सफल होते नजर आ रहे हैं। पार्टी का मानना था कि ठाकुर की हिंदूवादी छवि की वजह से संघ के स्वयंसेवक काम पर लग जाएंगे। ठीक वैसा ही हुआ जैसा पार्टी ने सोचा था।
महू में भाजपा के साथ संघ की एक समानांतर टीम काम कर रही है। नए स्वयंसेवकों के अलावा पुराने भी मैदान में आ गए हंै जो पिछले दो चुनाव से घर बैठकर आनंद लेते थे। एक तरह से देखा जाए तो संघ की दो पीढ़ी काम कर रही है। कांग्रेस के शासन काल में स्वयंसेवकों पर हुई कार्रवाई का मुद्दा भी जोरों पर चल रहा है। धर्मेंद्र पंड्या की चोटी काटने की घटना से लेकर कांग्रेस के प्यारसिंह निनामा हत्याकांड में पुलिस की प्रताडऩा खास है। इधर, पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए रामकिशोर शुक्ला, कंचनसिंह चौहान, राधेश्याम यादव, अशोक सोमानी और कविता पाटीदार को काम पर लगा गया है। ये सभी नेता अपने-अपने समाज को साधने में जुट गए हैं।
भाईदूज पर बहन को नहीं लौटाते खाली हाथ महू भाजपा प्रत्याशी के रूप में उषा के आने से राजपूत समाज जो कि अंतरसिंह दरबार के समर्थन में खुलकर आता था। अब वह बंटा हुआ नजर आ रहा है। दस साल बाद उषा ने दरबार के गांव में जनसंपर्क किया। घर तक पहुंच गई जिसका संदेश पूरी विधानसभा में पहुंचा। इधर, उषा जहां-जहां जा रही हैं, वहां मालवी भाषा में बात कर रही है। साथ में बोल रही हंै कि बेटी आती है तो उसे खाली हाथ नहीं जाने दिया जाता है। साथ में भाई दूज का पर्व भी है। ये बात मतदाताओं में घर कर रही है खासतौर पर महिलाओं में।