फूलका ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी मांग है कि रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर प्रकाश सिंह बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ जांच की जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि आगामी 15 सितम्बर तक जांच शुरू नहीं की जाती तो वे दूसरे दिन 16 सितम्बर को विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा अमृतसर जाकर दरबार साहिब में पेश करेंगे और दूसरे दिन 17 सितम्बर को स्पीकर को सौंप देंगे।
उन्होंने कहा कि उनके इस अल्टीमेटम पर कैप्टेन सरकार के मंत्री गुमराह कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मामले सीबीआई को सौंपे गए थे और उनके लौटने व जांच शुरू करने में समय लगेगा। इस तरह अल्टीमेटम की तिथि तक जांच शुरू नहीं की जा सकती हैं। फूलका ने कहा कि यह गुमराह करने वाला बयान है। फरीकोट जिले के बेहबल कलां और कोटकपुरा में अक्टूबर 2015 में गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी के विरोध में धरने पर बैठे सिखों पर पुलिस फायरिंग के मामले सीबीआई को सौंपे ही नहीं गए थे। इसलिए मामलों के सीबीआई से आने का इंतजार करने की जरूरत ही नहीं है।
फूलका ने कहा कि वे तो रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर प्रकाश सिंह बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ जांच की घोषणा की मांग कर रहे है। वे कैप्टेन सरकार के पांच मंत्रियों की तरह प्रकाश सिंह बादल ओर सैनी की सीधी गिरफ्तारी की मांग नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि वे यह भी मांग कर रहे हैं कि यदि मंत्री अपनी यह मांग पूरी नहीं करवा पा रहे हे तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे चाहते है कि पुलिस फायरिग के मामले में न्याय हो। ऐसा न हो 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों की तरह कांग्रेस सरकार जांच पर जांच ही कराती रहे। फूलका ने एक सवाल पर कहा कि भले ही पार्टी इस मुद्दे पर उनके साथ न रहे लेकिन एक सिख और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने मुद्दा उठाया और अपने इस्तीफे का अल्टीमेटम दिया है।