22 जुलाई- सावन का पहला सोमवार।
29 जुलाई- सावन का दूसरा सोमवार।
05 अगस्त- सावन का तीसरा सोमवार।
12 अगस्त- सावन का चौथा सोमवार। सावन के महीने में प्रकृति से गहरा संबंध
सावन के महीने का प्रकृति से भी गहरा संबंध है क्योंकि इस माह में वर्षा ऋतु होने से संपूर्ण धरती बारिश से हरी-भरी हो जाती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस माह में बारिश होने से मानव समुदाय को बड़ी राहत मिलती है। इसके अलावा श्रावण मास में कई त्यौहार भी मनाये जाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तब उस मंथन से 14 रत्न निकले। उन चौदह रत्नों में से एक हलाहल विष भी था, जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और इसी कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। कहते हैं रावण शिव का सच्चा भक्त था। वह काँवर में गंगाजल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया और तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली।
सावन सोमवार व्रत- श्रावण मास में सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है उसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित है।
सोलह सोमवार व्रत- सावन को पवित्र माह माना जाता है। इसलिए सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ करने के लिए यह बेहद ही शुभ समय माना जाता है।
प्रदोष व्रत- सावन में भगवान शिव एवं माँ पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोष काल तक रखा जाता है।
सावन कथा
प्राचीन काल में एक धनी व्यक्ति था, जिसके पास सभी प्रकार की धन-दौलत एवं शौहरत थी, लेकिन दुर्भाग्य यह था कि उस व्यक्ति की कोई संतान न थी। इस बात का दु:ख उसे हमेशा सताता था, लेकिन वह और उसकी पत्नी दोनों शिव भक्त थे। दोनों ही भगवान शिव की आराधना में सोमवार को व्रत रखने लगे। उनकी सच्ची भक्ति को देखकर माँ पार्वती ने शिव भगवान से उन दोनों दंपति की सूनी गोद को भरने का आग्रह किया। परिणाम स्वरूप शिव के आशीर्वाद से उनके घर में पुत्र ने जन्म लिया, लेकिन बालक के जन्म के साथ ही एक आकाशवाणी हुई, यह बालक अल्पायु का होगा। 12 साल की आयु में इस बालक की मृत्यु हो जाएगी। इस भविष्यकथन के साथ उस व्यक्ति को पुत्र प्राप्ति की अधिक ख़ुशी न थी। उसने अपने बालक का नाम अमर रखा।
इस राशि वाले जातक से नाराज है भोलेनाथ
भगवान भोलेनाथ पहली बार कलयुग में 12 में से 1 राशि के जातक पर नाराज है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार कल से इन राशि के जातक को थोड़ा संभलकर रहना होगा। इन्हें नई योजनाओं पर ध्यान देना होगा, साथ काम करने वाले हो कामकाज में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिलेगा, आर्थिक मामलों पर आपको ध्यान देने की जरूरत है, खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है इसलिए लिए फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखें, परिवार के किसी बड़े बुजुर्ग की तबीयत खराब हो सकती है जिसकी वजह से आप बहुत चिंतित रहेंगे। आचार्य ने बताया यह राशि तुला है जिससें भोलेनाथ नाराज हैं।