बावजूद इसके अभी तब इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। इनमें से ज्यादातर फर्जी चिकित्सक आयुष चिकित्सा पद्धति से जुड़े हैं।
स्थिति चिंताजनक
कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट (केपीएमई) अधिनियम के तहत जिला स्वास्थ्य अधिकारी इन फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में अभी तक केवल नोटिस जारी किए गए हैं। पहचाने गए सभी फर्जी चिकित्सकों में से केवल कुछ को ही कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ा है। फर्जी चिकित्सकों की बढ़ती संख्या पर चिंताएं पैदा हो गई हैं।
रद्द किए गए पंजीकरण संख्या का दुरुपयोग चरम पर
जानकारों के अनुसार पंजीकरण संख्याओं के दुरुपयोग के कारण फर्जी चिकित्सकों की संख्या बढ़ी है। जब कर्नाटक आयुर्वेदिक और यूनानी वैद्य परिषद (केएयूपी) के साथ पंजीकृत किसी चिकित्सक की मृत्यु हो जाती है या वे किसी अन्य राज्य या देश में स्थानांतरित हो जाते हैं, तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है। हालांकि, कुछ फर्जी चिकित्सक इन रद्द किए गए पंजीकरण संख्या का उपयोग करके प्रमाणपत्र प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं।
यह है कानून
फर्जी चिकित्सकों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने पर 25,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है जबकि दूसरी बार अपराध करने पर एक साल की कैद के साथ 2.50 लाख रुपए का जुर्माना लग सकता है। तीसरी बार अपराधी के लिए, तीन साल की कैद के साथ जुर्माना बढ़कर 5 लाख हो जाता है।
फर्जी चिकित्सकों के जिलेवार आंकड़े
कोलार – 179 बेलगावी – 170 धारवाड़ – 70 शिवमोग्गा – 74 तुमकुरु – 59 कलबुर्गी – 46 मैसूरु – 54 चिकबल्लापुर – 45
भाग जाते हैं पड़ोसी राज्य
कई जिलों में फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से कुछ मामले फिलहाल अदालत में हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी भी कदम उठा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले आयुष चिकित्सकों से जुड़े हैं। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में समस्या प्रमुख है। अक्सर, जब इन चिकित्सकों को परेशानी महसूस होती है, तो वे पड़ोसी राज्यों में भाग जाते हैं। हालांकि, हम उन्हें जांच के लिए वापस लाने के लिए उन राज्यों के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। हमारा अधिकार क्षेत्र सीमित है। – डॉ. विवेक दोराई, उप निदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग