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स्वास्थ्य

e pharmacy rules : सस्ती होंगी दवाइयां और नकली दवाइयों का खत्म होगा बाजार

कुछ निहित स्वार्थों वाले लोग ही ई-फार्मेसी मॉडल के विरोध में 28 सितंबर को करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल…

जयपुरSep 27, 2018 / 01:45 pm

dilip chaturvedi

e pharmacy

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नई दिल्ली. डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉम्र्स (डीएचपी) ने ई-फार्मेसी के नियमों के मसौदे से संबंधित सरकार के कदम का स्वागत किया और ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) की आगामी 28 सितम्बर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल का विरोध करने का फैसला किया। डीएचपी के प्रेसिडेंट प्रशांत टंडन ने कहा, “फार्मेसी के खुदरा एवं वितरण क्षेत्र में कुछ निहित स्वार्थों वाले लोग ही ई-फार्मेसी मॉडल का विरोध कर रहे हैं और इतना ही नहीं, वे ई-फार्मेसी मॉडल के बारे में भ्रांतियां भी फैला रहे हैं।” उन्होंने कहा कि ई-फार्मेसी मॉडल मौजूदा फार्मेसियों को ऑनलाइन ऑपरेशन शुरू करने और उपभोक्ताओं के विशाल समूह को सेवाएं प्रदान करने में भी समर्थ बनाएगा। प्रशांत ने कहा, “यह मॉडल खरीद के मुनाफे को बेहतर बनाने, इन्वेंटोरी के प्रबंधन को बेहतर बनाने, पहुंच बढ़ाने, दामों में कमी और उपभोक्ताओं के लिए मूल्य-वर्धित सेवाओं के व्यापक प्रावधान उपलब्ध कराना सुगम बनाएगा।”

डीएचपी ने खुदरा फार्मेसी क्षेत्र की चुनौतियों को दूर करने के लिए इस क्षेत्र की तकनीकी प्रगति की आवश्यकता पर बल दिया है। इससे जहां एक ओर, इस क्षेत्र को ज्यादा कुशल और सुदृढ़ बनाने में मदद मिलेगी, वहीं इससे दवाओं की लागत में भी कमी आएगी और इस तरह अंत में उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा।

डीएचपी ने एआईओसीडी की ओर से उठाए गए बिंदुओं के विरोध में कहा, “ई-फार्मेसी मॉडल असल में खुदरा फार्मेसी के क्षेत्र में व्याप्त दोयम दर्जे वाली और नकली दवाओं की समस्या का समाधान करेगा। डिजिटल लेन-देन के क्रम या ट्रांजेक्शन ट्रेल्स की बदौलत दवाओं पर नजर रखी जा सकेगी और उनका पता लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही इसमें नुस्खे का रिकॉर्ड, दवा ऑर्डर करने वाले का नाम और पता दर्ज हो जाता है, ताकि उस पर नजर रखी जा सके और उसका पता लगाया जा सके।”

बयान में कहा गया, “डिजिटल इंडिया पहल के बाद देश के दूरदराज के इलाकों तक इंटरनेट और ब्राडबैंड सेवाओं के प्रसार के साथ ई-फार्मेसी मॉडल किफायती मूल्य वाली दवाओं के बारे में जगरूकता और पहुंच बढ़ाने के एक मजबूत आधार का काम कर सकता है। यह उन ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंच बढ़ा सकता है, जहां खुदरा फार्मेसी की मौजूदगी बहुत कम है।”

डीएचपी ने बयान में कहा कि ई-फार्मेसी मॉडल में अंतिम वितरण लाइसेंसधारी फार्मेसी के जरिए और पंजीकृत फार्मेसिस्ट्स की निगरानी में होता है। मरीज के निदान, मरीज द्वारा पहले से ली जा रही दवाओं की सूची तथा स्थापित दवा निगरानी मापदंडों के बारे में जानकारी आमतौर पर मौजूदा फार्मेसिस्ट्स को नहीं होती, यह जानकारी इस मॉडल के जरिए उपलब्ध कराई जा सकती है। वर्तमान में ऑफलाइन स्टोर्स में कोई पंजीकृत फार्मेसिस्ट्स उपलब्ध नहीं हैं।

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