ये थी मांग
आरोप लगाया कि उनका गांव उप तहसील का दर्जा ले चुका। सबसे बड़ा गांव होने के बावजूद यहां उनकी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है। डेढ़ साल पहले उप तहसील भवन का लोकार्पण के बाद यहां नायब तहसीलदार सहित अन्य कार्मिक नहीं होने से लाभ नहीं मिल रहा। लोगों को राजस्व संबंधी कार्यों के लिए संगरिया जाना पड़ता है। 15 हजार की आबादी वाले गांव में 24 घंटे बिजली आपूर्ति होने की बजाए गांव में प्रतिदिन हर घंटे बाद बिजली कट लगने से सभी काम प्रभवित हो रहे हैं। भीषण गर्मी में हाल बेहाल हैं। गांव में दो जलघर हैं। नए से 70 फीसद को फिल्टरयुक्त शुद्ध पेयजल मिलता है जबकि पुराने से 30 फीसद आबादी को पुराने जलघर से दूषित पेयजल आपूर्ति होती है। इसकी हालत दयनीय है। फिल्टर नाकार व मोटरें खराब रहती हैं। ढाबां से दीनगढ़ ग्रेवल सड़क पर शेष तथा ढाबां से लोहगढ़ मार्ग पर 4 किमी.डामर रोड नहीं होने से आवागमन में परेशानी हो रही है। बार-बार गुहार लगाने पर सुनवाई नहीं हो रही, इससे ग्रामीणों में भारी रोष है।
यूं बनी बात
समझाइश उपरांत अधिकारियों ने बिजली के एलडी कट बिना कटौती नहीं करने, जलघर में नई मोटरें लगवाकर पेयजल आपूर्ति सुचारु करवाने, एसडीएम अशोक कुमार व तहसीलदार सुरेंद्र जाखड़ ने तहसील में नियुक्ति के लिए जिला कलक्टर को प्रस्ताव भेजने, शीघ्र आवश्यक स्टाफ तैनाती करवाने, सड़क के लिए सानिवि व मंडी समिति को प्रस्ताव भेजने की बात कही। जिस पर लोग शांत हुए।