जानकारी के अनुसार प्रतापपुरा (पीटीपी) नहर में 175 क्यूसेक, नाथवाना (एनटीडब्ल्यू) में 236, रतनपुरा (आरटीपी) में 248, मोडिया (एमओडी) में 473, सूरतपुरा (एसटीपी) में 482, दीनगढ़ (डीएनजी) में 495, हरिपुरा (एचआरपी) में 508, लोंगवाला (एलजीडब्ल्यू) में 653, पीलीबंगा (पीबीएन) में 868, नवां-सतीपुरा (एनडब्ल्यूएन) में 879, रोड़ांवाली (आरआरडब्ल्यू) में 892, अमरपुरा (एएमपी) में 987, मोरजंडा (एमजेडी) में 1200, नगराना (एनजीडी) में 1208, लीलांवाली (एलएलडब्ल्यू) में 1448, भाखरांवाली (बीकेडब्ल्यू) में 1453, करनीसिंह (केएसडी) में 1783, मम्मडख़ेड़ा (एमएमके) में 1978, जोड़कियां (जेआरके) में 2058, संगरिया (एसएनजी) में 2064, भगतपुरा (बीजीपी) में 2102 व सूरतगढ़ (एसटीजी) में नहर में 2222 क्यूसेक पानी प्रवाहित होगा। जल संसाधन विभाग के एक्सईएन सुरेश सुथार के अनुसार प्रत्येक नहर आठ दिन पूरी चलाने के बाद बंद की जाएगी।
नहरों में पानी के उतार-चढ़ाव को देखते हुए अगर किसी नहर के रेगुलेशन में बदलाव करना पड़ा तो भाखड़ा सिद्धमुख रेगुलेशन खंड व जल संसाधन खंड प्रथम/द्वितीय के अधिशाषी अभियंता से विचार-विमर्श के बाद व्यवस्था की जाएगी। इसी तरह इंदिरागांधी नहर में एक मई से सिंचाई पानी का रेग्यूलेशन मंजूर किया गया है। इस तरह नहरों में सिंचाई पानी की उपलब्धता से अब खरीफ फसलों की बिजाई समय पर हो सकेगी। किसान नेता ओम जांगू के अनुसार विभाग स्तर पर सिंचाई पानी का प्रबंध किया गया है। इससे किसानों को फायदा होगा। सिंचाई पानी की निरंतर मांग क्षेत्र में की जा रही थी। जो रेग्यूलेशन मंजूर किया गया है, उसके अनुसार अब नहरों में पानी चलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। गौरतलब है कि पूर्व में बंदी के चलते इस नहर में केवल पेयजल आपूर्ति हो रही थी। अब सिंचाई पानी चलने से किसान खुश हो रहे हैं।