प्रकरणों में दस गुणा बढ़ोतरी
जिला बनने के साथ ही हनुमानगढ़ में उपभोक्ता मंच ने कार्य शुरू कर दिया। वर्ष 1995 में जिले की परिधि में आने वाले लोगों के परिवाद यहा स्थानांतरित कर दिए गए। उस समय चालीस से भी कम परिवाद मंच के समक्ष पेश होते थे। जबकि आज यह आंकड़ा चार सौ से अधिक तक जा पहुंचा है। पिछले पांच-सात वर्षों के दौरान उपभोक्ता न्यायालय में दर्ज होने वाले परिवाद की संख्या में बीस से तीस प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह यह है कि नाम मात्र के परिवाद व्यय पर लोगों को न्यायालय के जरिए लाखों रुपए का मुआवजा सहज ढंग से मिल जाता है। जिले में उपभोक्ता संरक्षण मंच की स्थापना के बाद से आठ हजार से अधिक प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। इसमें से 7000 से अधिक का तो फैसला हो चुका है। जो लंम्बित प्रकरण हैं उनमें से ज्यादातर वर्ष 2017 से अब तक के हैं।
शिकायत आसान मगर
उपभोक्ता एक सादे कागज पर शिकायत मंच के समक्ष शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसमें शिकायतकर्ता का नाम, प्रतिवादी पक्ष का नाम, विवरण व पता होना चाहिए। यदि सामान या सेवा का मूल्य अथवा वांछित मुआवजा एक करोड़ तक हो तो यहां परिवाद दर्ज होता है।
अदालती शुल्क
1 लाख से 5 लाख तक का मामला होने पर – कोई शुल्क नहीं।
10 लाख तक का मामला होने पर – 300 रुपए।
20 लाख तक का मामला होने पर – 400 रुपए।
तो अधिकारों का संरक्षण
जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण में कोरम पूरा नहीं होने व अध्यक्ष के अभाव में परिवादों पर फैसला नहीं हो पाता। इससे निरंतर लम्बित प्रकरणों का आंकड़ा बढ़ रहा है। समस्या का जल्द समाधान होने से उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण होगा। – नितिन छाबड़ा, वरिष्ठ अधिवक्ता।