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रात होते ही स्टेशन के पीछे होता है अवैध काम शुरु, जानिए क्या है मामला

locationग्वालियरPublished: Jul 15, 2019 11:30:50 am

Submitted by:

Parmanand Prajapati

रात होते ही स्टेशन के पीछे होता है अवैध काम शुरु, जानिए क्या है मामला

रात होते ही स्टेशन के पीछे होता है अवैध काम शुरु, जानिए क्या है मामला

रात होते ही स्टेशन के पीछे होता है अवैध काम शुरु, जानिए क्या है मामला

ग्वालियर. रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म-४ पर रात होते ही अवैध वेंडरों की मनमानी शुरू हो जाती है। यहां अंधेरे में बैठे अवैध वेंडरों द्वारा हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध करा दी जाती है, जिसके लिए उनके द्वारा मनमाने पैसे वसूले जाते हैं। वेंडरों द्वारा स्टेशन के पीछे स्थित क्षेत्र में अंधेरे में सामान रख लिया जाता है, जहां से डिमांड आते ही वह ट्रेनों के कोच में सामान पहुंचा देते हैं। इसके लिए उनकी ट्रेनों में चलने वाले स्टाफ और वेंडरों से सांठ-गांठ होती है। जैसे ही ट्रेन ग्वालियर स्टेशन पर आने को होती है तो ट्रेनों में चलने वाले वेंडरों द्वारा उन्हें सूचना देकर कोच नंबर बता दिया जाता है। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है तो वेंडरों द्वारा छोरी-छिपे सामान ट्रेनों में पहुंचा दिया जाता है। इसका खुलासा एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा नाइट एट के दौरान स्टेशन पर भ्रमण कर पड़ताल करने पर हुआ।
रिपोर्टर- अरे भाई अंधेरे में यह सामान क्यों रखा हुआ है ?
वेंडर- लोडिंग गाड़ी आई थी, उसने यहां पर ही सामान रख दिया है। अब इसे दूसरी जगह ले जाएंगे।
रिपोर्टर- क्या सामान है?
वेंडर- अरे हमारा पर्सनल सामान है।
रिपोर्टर- अरे फिर भी क्या है?
वेंडर- कुछ नहीं है, पानी की बोतल और खाने का सामान है।
रिपोर्टर- कहां ले जाओगे?
वेंडर- कहीं नहीं हमारे आदमी आ रहे हैं उन्हें दे देंगे।
रिपोर्टर- खाने का सामान है तो अंधेरे में छिपा कर क्यों रखे हो, ब्लैक में तो नहीं बेचते हो ?
वेंडर- अरे नहीं, यह तो हमारा रोज का काम है। हमारे पास ट्रेनों से डिमांड आती है और ट्रेन जैसे ही आती है तो हम ट्रेन में सामान पहुंचा देते हैं।
रिपोर्टर- जब सामान ब्लैक का नहीं है तो स्टेशन पर क्यों नहीं बेचते हो ?
वेंडर- स्टेशन पर दुकानदारों द्वारा नहीं बेचने दिया जाता है और स्टाफ भी पैसे मांगता है, इसलिए यहां से ही ट्रेनों में सामान पहुंचा देते हैं।
एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा स्टेशन पर रात में अवैध वेंडरों के काम के बारे में जानकारी ली गई तो देखा कि प्लेटफॉर्म-४ के अंतिम छोर पर सन्नाटा पसरा हुआ था, वहां ४-५ लोग खड़े थे। साथ ही पानी की बोतलों के कुछ कार्टन, आईस बॉक्स के अलावा बड़े-बड़े कार्टन रखे हुए थे, जिनमें कई प्रकार की सामग्री रखी हुई थी। अंधेरे में सामान छिपाकर रखने वालों द्वारा ट्रेनों का इंतजार किया जा रहा था। कोई राहगीर यहां से गुजर रहा था तो सभी वेंडर उसे देखकर इधर-उधर हो रहे थे। कुछ वेंडर फोन पर बताकर सामान की बुकिंग कर फोन करने वालों को बता रहे थे कि कौन सा सामान कितने पैसे का है। खास बात यह है कि स्टेशन पर रात में आरपीएफ और जीआरपी जवानों की गश्त में ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन पुलिसकर्मियों द्वारा रात में स्टेशन के पिछले इलाकों में गश्त नहीं किया जाता है। जिसका फायदा अवैध वेंडरों द्वारा उठाया जा रहा है।
एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा स्टेशन पर रात में अवैध वेंडरों के काम के बारे में जानकारी ली गई तो देखा कि प्लेटफॉर्म-४ के अंतिम छोर पर सन्नाटा पसरा हुआ था, वहां ४-५ लोग खड़े थे। साथ ही पानी की बोतलों के कुछ कार्टन, आईस बॉक्स के अलावा बड़े-बड़े कार्टन रखे हुए थे, जिनमें कई प्रकार की सामग्री रखी हुई थी। अंधेरे में सामान छिपाकर रखने वालों द्वारा ट्रेनों का इंतजार किया जा रहा था। कोई राहगीर यहां से गुजर रहा था तो सभी वेंडर उसे देखकर इधर-उधर हो रहे थे। कुछ वेंडर फोन पर बताकर सामान की बुकिंग कर फोन करने वालों को बता रहे थे कि कौन सा सामान कितने पैसे का है। खास बात यह है कि स्टेशन पर रात में आरपीएफ और जीआरपी जवानों की गश्त में ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन पुलिसकर्मियों द्वारा रात में स्टेशन के पिछले इलाकों में गश्त नहीं किया जाता है। जिसका फायदा अवैध वेंडरों द्वारा उठाया जा रहा है।
स्टेशन के पीछे के इलाके से सामान बेचने वाले वेंडरों का संपर्क ट्रेनों में चलने वाले वेंडरों से रहता है। स्टेशन पर बैठे वेंडर ट्रेन में चलने वाले वेंडरों के फोन आने का इंतजार करते हैं। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है तो वह ट्रेन में चलने वाले वेंडर की डिमांड के अनुसार सामान लेकर कोच के पास पहुंच जाते हैं और कुछ ही मिनटों में सामान ट्रेनों के कोच में पहुंचा दिया जाता है, जिसकी भनक तक किसी को नहीं लगती है। क्योंकि ट्रेनों में स्टेशन पर सामान बेचने वाले वेंडरों द्वारा ट्रेन के पहले कोच या फिर अंतिम कोच में ही सामान पहुंचाया जाता है, जहां से पूरी ट्रेन में सप्लाई होती है।
अंदर और बाहर से चलता है पूरा खेल- ट्रेनों में अवैध रूप से सामान पहुंचाने वाले वेंडर काफी संख्या में रहते हैं, जिनमें से कुछ वेंडर स्टेशन के बाहर लोडिंग गाड़ी में सामान रखकर बैठे रहते हैं, तो कुछ स्टेशन के अंदर खड़े रहते हैं। डिमांड मिलते ही अंदर बैठे वेंडरों द्वारा बाहर इंतजार कर रहे वेंडर को सूचना दी जाती है तो कुछ ही मिनटों में बाहर बैठे वेंडरों द्वारा स्टेशन के अंदर सामान पहुंचा दिया जाता है। इस तरह पूरी रात यह खेल चलता है।

स्टेशन प्रबंधन लापरवाह– ट्रेनों में खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराने के लिए स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर काउंटर बने हुए हैं, जिसकी परमिशन रेलवे प्रबंधन द्वारा दी जाती है। लेकिन स्टेशन पर अवैध वेंडरों की स्टेशन प्रबंधन द्वारा जांच नहीं कराई जाती है। रात में अवैध वेंडरों द्वारा ट्रेनों में सामान पहुंचाने को लेकर भी स्टेशन प्रबंधन लापरवाह है। इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, जिसका फायदा अवैध वेंडरों द्वारा उठाया जा रहा है।

अवैध वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
– ट्रेनों में अवैध वेंडरों के संबंध में पूर्व में भी शिकायत मिली थी, जिसकी जांच करा कर कुछ वेंडरों पर कार्रवाई भी की गई थी। स्टेशन के पीछे के इलाके में अगर अवैध वेंडरों द्वारा रात के अंधेरे में इस तरह से सामान बेचा जा रहा है तो यह गलत है। इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित कर जांच कराई जाएगी और जो भी मौके पर अवैध रूप से सामान बेचते हुए मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।
मनोज कुमार, पीआरओ, रेलवे झांसी मंडल
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