पिछले 10 साल में यहां से सैकड़ों किसानों को मदद दी जा चुकी है। रामदीन बघेल ने बताया कि एक साल में मूलधन अदा करना होता है। मैंने मंदिर से खेती करने के लिए 50 हजार रुपए का कर्ज लिया है। इस धन को मुझे एक साल में अदा करना है। चूंकि रकम पर मुझसे कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। इसलिए मूलधन वापस करने में कोई परेशानी नहीं होगी। लोन देने से पहले कोई गारंटी भी नहीं ली गई है। कहीं ओर से मदद लेता तो जमीन बंधक रखनी पड़ती,पैसा नहीं चुका पाता तो वो भी हाथ से जाती। पर यहां बेफ्रिक होकर लोन लिया जा सकता है।
पुजारी शंभूनाथ योगी ने बताया कि 1100 आबादी वाले पांडोली गांव में 50 फीसदी लोग मंदिर से कर्ज लेकर चुका चुके हैं। दरअसल गुसांई महाराज और उनके शिष्य नवलपुरी महाराज ने संवत 1772 में यहां समाधि ली थी। जिसके बाद लोगों ने यहां मंदिर बनाया और हर गुुरुवार को मंदिर परिसर में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं।