मालूम हो कि एनआरसी में नाम शामिल करवाने के लिए जिन पंद्रह कागजातों में से पांच कागजात रद्द किए गए, उसको लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है। लेकिन इन पांच कागजातों को रद्द करने के पक्ष में हाजेला ने तथ्यों के साथ वजह गिनाई है। हाजेला ने बांग्लादेश के निखिल दास का उदाहरण दिया है।
पूरे परिवार का नाम एनआरसी में शामिल करने को किया आवेदन
दास ने एनआरसी के लिए कछार जिले में आवेदन किया था। दास ने अपने पिता निताई दास, मां बालि दास, भाई निखिंद्र दास, बहन अंखी दास का नाम शामिल करने के लिए आवेदन किया था। एनआरसी अधिकारियों की जांच में सामने आया कि निखिल को छोड़कर बाकी सभी बांग्लादेश में रहते हैं। बांग्लादेश में रहते हुए वे कैसे असम की एनआरसी में नाम दाखिल करने के लिए आवेदन कर पाए, इसकी जांच के दौरान और मजेदार जानकारी सामने आई।
बांग्लादेश से असम आया बनाए फर्जी दस्तावेज
निखिल अक्तूबर 2011 में असम आया था। बिना कोई वैध कागजात लिए वह त्रिपुरा के रास्ते सिल्चर आया था और वहां रहने लगा। उसने वकील के सहयोग से कागजात बना डाले। उसने शरणार्थी का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाया। इसके बाद जन्म प्रमाण पत्र,पैन कार्ड,आधार कार्ड और अन्य कागजात बना डाले। उसने परिवार के अन्य व्यक्तियों के नाम से भी कागजात बना डाले। निखिल ने जो पता दिया, उस पर वह नहीं मिला, तो फोन पर एनआरसी के अधिकारियों ने बुलाया। उसी अनुसार इस साल 18 मई को वह एनआरसी केंद्र में हाजिर हुआ। इस दौरान हुई पूछताछ में निखिल ने सारा राज खोल दिया। उसने बताया कि आठ हजार में शरणार्थी प्रमाण पत्र और पंद्रह सौ रुपए में मतदाता परिचय पत्र बनाया। इससे पता चलता है कि बांग्लादेश से आए लोगों के नाम किस तरह एनआरसी में शामिल हो गए हैं। राज्य में इस तरह के 484 फर्जी मामले पकड़े गए। जन्म प्रमाण पत्र तो 1.78 लाख फर्जी बनाए गए। इनकी जांच के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच टीम बनाई लेकिन इसकी प्रगति कुछ खास नहीं है।