त्रिपुरा के दो जिलों के 10,000 लोगों को बेघर कर दिया गया है। मेघालय में, दो नदियों में जल-स्तर ( Water Level ) बढ़ने से 1.14 लाख लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सप्ताहांत में लगातार बारिश से बाढ़ के बाद त्रिपुरा के दो जिलों के कम से कम 10,000 लोगों को बेघर किया गया है और राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया है।
सोमवार को ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने से आसपास रहने वालों की जान खतरे में पड़ गई। रविवार तक, ब्रह्मपुत्र ( Brahmaputra ) गुवाहाटी में जोरहाट के निमाटीघाट, सोनितपुर में तेजपुर, गोलपारा और धुबरी शहरों में, और करीमगंज के बदरपुरघाट में अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। ब्रह्मपुत्र के अलावा, कई जिलों में बुरहादिंग नदी अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
काजीरंगा नेशनल पार्क ( Kaziranga National Park ) से भी बाढ़ की सूचना मिली है, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी आबादी भारतीय एक सींग वाले गैंडों ( One Horn Rhino ) की है। अधिकारियों ने कहा, “कई जानवर हाइलैंड्स में चले गए हैं। हमारे पास चारे का पर्याप्त भंडार है और वन अधिकारी अलर्ट पर हैं।” अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व और आपदा प्रबंधन) कुमार संजय कृष्ण ने कहा, “मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, असम में अधिक वर्षा होगी और ब्रह्मपुत्र में जल स्तर बढ़ने की संभावना है।” “धुबरी और अन्य निचले असम जिले संभवतः आने वाले दिनों में और भीषण बाढ़ देखेंगे।”
सप्ताहांत में लगातार बारिश से बाढ़ के बाद त्रिपुरा के दो जिलों के कम से कम 10,000 लोगों को बेघर किया गया है और राहत शिविरों ( Rescue Camps ) में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया है। सोमवार को बारिश और गरज के साथ बारिश होने के आसार हैं। आपदा प्रबंधन के राज्य परियोजना अधिकारी शरत दास ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के कर्मियों और राज्य के सुरक्षा बलों ने खोवाई और पश्चिम त्रिपुरा जिलों से कई फंसे हुए लोगों को बचाया।
मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा, “हमारी सरकार त्रिपुरा में भारी बारिश की स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है और अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं …. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ, राज्य आपदा स्वयंसेवक और पुलिस व्यक्ति जमीन पर हैं।” अगरतला शहर और उसके आसपास के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में श्रीलंका बस्ती, बलदाखल, अंबेडकर कॉलोनी, प्रतापगढ़ शामिल हैं जो हावड़ा नदी के करीब हैं।