ईरान पर यह हमला उस दिन हुआ जब अमरीका द्वारा वारसॉ में बुलाई गई एक बैठक में मध्य पूर्व क्षेत्र में ईरान के घातक प्रभाव के बारे में विचार किया जाना था। गौरतलब है कि यह ब्लास्ट ईरान द्वारा इस्लामिक क्रांति की 40 वीं वर्षगांठ मनाने के दो दिन बाद आया। सिस्तान प्रांत में हुए विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने सीमा रक्षकों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया। समाचार एजेंसी फार्स ने कहा कि हमले का दावा जैश अल-अदल द्वारा किया गया है जो 2012 में सुन्नी चरमपंथी समूह जुंदाल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में गठित किया गया था।
ईरान ने पाक को चेतवानी देते हुए कहा है कि उसे इस हमले के लिए ”भारी कीमत” चुकानी पड़ेगी। हमले के 4 दिन बीतने के बाद ईरान के रिवाल्यूशनरी गार्ड्स ने पाकिस्तान पर इस आत्मघाती बम हमले के षड्यंत्रकर्ताओं को समर्थन देने का आरोप लगाया है। ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने सरकारी टीवी पर बोलते हुए कहा कि जिहादी समूह जैश-अल-अद्ल की पाकिस्तान सरकार के संरक्षण में पल रहा है। इन्हें पाकिस्तान के सुरक्षा बलों का समर्थन हासिल है। जाफरी ने कहा, “अगर पाकिस्तान सरकार ने उन्हें दंडित नहीं किया तो हम इन जिहादी समूहों को मुंहतोड़ जवाब देंगे।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान को भी इस घटना का अंजाम भुगतना होगा’।