इराक की 46 प्रतिशत भाग में आईएसआईएस का कब्जा था
गौरतलब है कि 2003 में सद्दाम हुसैन की सत्ता को समाप्त करने के लिए अमरीका के हमले के बाद यह चौथा आम चुनाव है। इससे पहले 2005, 2010 और 2014 में तीन चुनाव हो चुके हैं। इन तीनों चुनावों में इराक की इस्लामिक दवा पार्टी ने बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। बता दें कि इराक से आईएसआईएस के खात्मे से पहले तक 46 प्रतिशत भाग में उनका कब्जा था। जब सितंबर2014 में निवर्तामान प्रधानमंत्री हैदर अल- आबादी ने सत्ता संभाली थी तब इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस का बोलबाला था। हालांकि प्रधानमंत्री हैदर अल-आबादी ने सत्ता संभालते ही ऐसे कदम उठाए साथ हीं अमरीका, शिया और कुर्दिश सेनाओं की बदौलत इराक को आईएसआईएस के कब्जे से आजाद कराने में सफलता पाई।
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महिलाओं के लिए है 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित
आपको बता दें कि इराक की संसद में महिलाओं के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित है। इस बार के आम चुनाव में सात हजार उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिसमें से करीब 2600 महिला प्रत्याशी हैं। बता दें कि 329 सीटों वाली इराकी संसद में कम से कम 83 सीटें महलाओं के लिए आरक्षित होंगी। गौरतलब है कि इराक का यह कदम महिला सशक्तिकरण के लिहाज से भी मध्य-पूर्व के किसी देश का अहम पहलू है।
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किसके-किसके बीच कड़ा मुकाबला
गौरतलब है कि इस चुनाव में सीधे तौर पर निवर्तमान प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी और पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी के बीच मुकाबला है। बता दें कि मलिकी 2006 से 2014 तक इराक के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। मलिकी पर हमेशा सुन्नी मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगता रहा है। आईएस को देश से बाहर खदडने में अहम भूमिका निभाने वाले फतह गठबंधन के नेता हादी अल-अमीरी भी इस चुनाव में अपना किस्मत आजमा रहे हैं। अमीरी भी कड़ा मुकाबला देने के लिए तैयार हैं।