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गोरखपुर

शिवपाल यादव की पार्टी से इन सीटों के सपा के दिग्गज लोकसभा चुनाव में बन सकते हैं प्रत्याशी

गोरखपुर-बस्ती मंडल की इन सीटों पर शिवपाल यादव का भी है प्रभाव

गोरखपुरAug 29, 2018 / 04:04 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

Shivpal Yadav

amar singh, shivpal yadav and akhilesh yadav

यूपी में महागठबंधन की सबसे बड़ी पैरोकार समाजवादी पार्टी में फूट पड़ने से विपक्ष में सियासी अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। समाजवादी पार्टी के नेता भी फिलहाल चुप्पी साधे परिस्थितियों को थाहने में लगे हुए हैं। हालांकि, सपा में फूट से उन नेताओं में एक उम्मीद भी जगी है जो लोकसभा चुनाव की जंग में उतरने को इच्छुक थे लेकिन समझौते में सीट चली जाने से उनकी दिली ख्वाहिश दफन हो रही थी।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में नौ लोकसभा सीटें हैं। समाजवादी पार्टी महागठबंधन को धार देने के लिए कम सीटों पर भी समझौता करने को राजी थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीते लोकसभा उपचुनाव व एमएलसी-राज्यसभा चुनावों में गठबंधन दलों को तरजीह देकर यह संकेत तक दे दिया था कि इस बार गठबंधन दलों को अधिक से अधिक तरजीह दी जाएगी।
अखिलेश यादव की इस चाल को बीजेपी भी समझ रही थी और ओबीसी-दलित वोटों की एकजुटता के साथ अल्पसंख्यक मतों के धु्रवीकरण से परेशान भी थी।
विपक्ष की इस चाल से बीजेपी में बेचैनी तो थी ही पार्टी में टिकट में दावेदारों में भी तमाम तरह की आशंका थी। विपक्ष की मजबूती से अधिक इन लोगों को अपनी सीटों के चले जाने का डर था। ऐसे में शिवपाल यादव का समाजवादी पार्टी से अलग होना सपा और सपा से बाहर होकर नेपथ्य में चल रहे राजनेताओं में एक उम्मीद भी है।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि देवरिया-सलेमपुर व कुशीनगर लोकसभा सीट समाजवादियों का गढ़ रहा है लेकिन यहां सपा केवल एक सीट ले रही थी। बाकी दो सीटें वह अपने सहयोगी दलों बसपा व कांग्रेस को दे रही थी। इसी तरह महराजगंज की सीट भी समाजवादी पार्टी बसपा को देने के मूड में थी। संतकबीरनगर, बस्ती और डुमरियागंज में सपा एक सीट लेने के साथ सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही थी। गोरखपुर और बांसगांव में गोरखपुर समाजवादी पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ती जबकि बांसगांव पर वह मंथन कर रही थी।
ऐसे में सपा के कई दिग्गज जो विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं वे लोकसभा की आस लगाए हुए थे। लेकिन गठबंधन के तहत सीट चले जाने के बाद वे चुप्पी साधे हुए थे। जानकारों का मानना है कि शिवपाल के पार्टी बनाने के बाद अब कईयों के लिए चुनाव मैदान में ताल ठोकने का मौका मिल गया है।
समाजवादी राजनीति को करीब से जानने वाले बताते हैं कि सपा के बड़े मुखिया मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल सिंह यादव ही ऐसे चेहरे हैं जिनकी यूपी के सभी जिलों में संगठन में बेहतरीन पकड़ है। कई दशकों से वह समाजवादी पार्टी के संगठन को संभाल रहे हैं। मुलायम के करीबियों से लेकर मौकापरस्तों सबको वह अच्छी ढंग से पहचानते हैं। यह भी माना जाता है कि शिवपाल यादव संगठन को खड़ा करने में माहिर हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी से अलग होकर उनके पार्टी बनाने से सपा के कई दिग्गज चेहरे लोकसभा चुनाव में उनके बैनर तले भाग्य आजमाएं ऐसा संभव है।

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