गोरखपुर के सैकड़ों गांवों में लोग रतजगा करने को मजबूर हैं। कई जगहों पर लोगों का गुस्सा भी फूट पड़ रहा है। शनिवार को प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री अनिल राजभर व एक विधायक को सिक्टौर में गांववालों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। लोगों का आरोप है कि प्रशासन बाढ़ पीड़ितों के लिए व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रहा। काफी संख्या में बच्चे-महिलाएं-बूढ़े बाढ़ में फंसे हुए हैं।
रविवार की सुबह झंगहा-बोहरा बांध व बिनहा रिंग बांध टूट गया। इससे करीब कई सौ गांवों में पानी घुस गया है।
उधर, गोरखपुर शहर के कई इलाकों में भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कई कॉलोनियों में पानी घुस चुका है। राजेंद्रनगर पश्चिमी व बरगदवा क्षेत्र बाढ़ की वजह से काफी संवेदनशील हैं। जिले में एनडीआरएफ की कई टीमें राहत पहुंचाने व बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकालने में कई दिनों से दिन-रात एक की हुई है।
1998 के बाद गोरखपुर में इतनी भयावह स्थिति देखने को मिल रही है। गोरखपुर-सोनौली राजमार्ग कई दिनों से बंद है। गोरखपुर-लखनउ राजमार्ग पर भी खतरा मंडरा रहा है। सुबह खतरे को देखते हुए मार्ग को बंद कर दिया गया था लेकिन दोपहर तक स्थिति में सुधार होने पर भारी वाहनों को छोड़कर छोटे वाहनों के लिए आवागमन खोल दिया गया। कई अन्य मार्गाें पर भी खतरा बढ़ गया है।
बाढ़ ने कई जिंदगियों को लील ली बाढ़ की वजह से कई जानें जा चुकी है। गोरखपुर के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की वजह से आधा दर्जन जलसमाधि हो चुकी है। लाखों लोग अभी भी बाढ़ में फंसे हुए हैं।
सब्र भी टूट रहा बडहलगंज क्षेत्र के दर्जनों गांव राप्ती व घाघरा के प्रकोप के शिकार हैं। हफ्ता दिन से अधिक हुए गांव में बाढ़ आए। लोग घरों में कैद हैं। सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। अन्य गांवों से संपर्क कट चुका है। लेकिन लोगों का आरोप है कि प्रशासन उनके राहत के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पा रहा। राहत के नाम पर केवल कोरमपूर्ति हो रही है। गांव में लोगों को निकालने के लिए प्रशासन एक अदद नांव तक की व्यवस्था नहीं कर सका है। रविवार को लखनौरी, लखनौरा, खोहिया पट्टी, सूबेदार नगर आदि गांव के लोग गांव से निकलकर रामजानकी मार्ग पर आ गए। डेरवा चैराहा पर जाम लगाकर ये लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे। शाम चार बजे हुए इस प्रदर्शन से प्रशासन के हाथपांव फूल गए। किसी तरह समझाबुझा कर आश्वासन के बाद लोगों को पुलिस ने लौटाया।
by DHIRENDRA GOPAL