नदी में पानी का कहीं नामोनिशान नहीं है, जो है बदबूदार और प्रदूषित। ऐसे में नगर के उत्तर भारतीय परिवारों में निराशा देखी जा रही है। कुछ दिन पूर्व तक नदी में पानी था, लेकिन अज्ञात लोगों द्वारा एनीकट का गेट खोल दिए जाने से नदी में मौजूद पानी बह गया। लोगों का कहना है कि महानदी पर दो-दो एनीकट बनाने के बाद भी नदी में पानी का मौजूद न रहना इसके औचित्य पर सवालिया निशान लगाता है। साथ ही वक्त-बेवक्त एनीकट का गेट खुल जाने से विभागीय क्रियाशीलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा होता है।
छठ पर्व की प्रासंगिकता और महत्ता से हर कोई वाकिफ है, बावजूद इसके जल संसाधन विभाग इस ओर निष्क्रिय बना बैठा है। इससे छठ पर्व मनाने वाले उत्तर भारतीय परिवारों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। इन लोगों का कहना है कि भगवान सूर्य को नदी में मौजूद गंदे और बदबूदार पानी से अघ्र्य देना पाप के बराबर होगा। दो दिन का समय शेष है अगर विभाग इस ओर ध्यान देते हुए महानदी में पानी छोड़ देता है, तो उनके पर्व पर अध्र्य देने की परंपरा का निर्वहन तो होगा ही, नागरिकों को भी निस्तारी हेतु स्वच्छ जल मिल जाएगा।
जल संसाधन विभाग की निष्क्रियता तो समझ में आती है, लेकिन स्थानीय नगरपालिका प्रशासन की निष्क्रियता समझ से परे है। स्वच्छ भारत का नारा बुलंद करने वाली पालिका प्रशासन को नेहरू घाट पर कई दिनों से फैली गंदगी दिखाई नहीं दे रही है, जिससे वर्तमान में बचा थोड़ा-बहुत पानी प्रदूषित हो चुका है। साथ ही आसपास में बदबू का कारण बना हुआ है। उत्तर भारतीय परिवारों के साथ नागरिक भी इस दोहरी परेशानी से काफी परेशान हैं।