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286 साल पुरानी है बजट के ‘लाल बैग’ की परंपरा, 1868 की इस रोचक घटना को आज भी किया जाता है याद

आप हर साल देखते होंगे कि जिस दिन बजट पेश किया जाता है उस दिन वित्त मंत्री संसद में लाल बैग लेकर आते हैं। दरअसल बजट पेश करते समय वित्त मंत्री का संसद में लाल बैग के साथ आने की परंपरा 286 साल पुरानी है।

नई दिल्लीJan 30, 2019 / 11:43 am

Dimple Alawadhi

budget 2019

286 साल पुरानी है बजट के ‘लाल बैग’ की परंपरा, 1868 की इस रोचक घटना को आज भी किया जाता है याद

नई दिल्ली। 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। ये वित्त मंत्री अरुण जेटली का छठा बजट होता, लेकिन उनकी तबीयत खराब है इसलिए वे बजट पेश नहीं करेंगे। उनकी जगह पीयूष गोयल 1 फरवरी को बजट पेश करेंगे। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि वित्त मंत्री के पिटारे से क्या कुछ निकलेगा। आप हर साल देखते होंगे कि जिस दिन बजट पेश किया जाता है उस दिन वित्त मंत्री संसद में लाल बैग लेकर आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वित्त मंत्री हमेशा लाल रंग का बैग ही क्यों लेकर आते हैं और इसकी परंपरा कितनी पुरानी है। आज पत्रिका आपको इस ‘लाल बॉक्स’ के बारे में तमाम महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा है।


286 साल पुराना है लाल बैग का इतिहास

बजट पेश करते समय वित्त मंत्री का संसद में लाल बैग के साथ आने की परंपरा 286 साल पुरानी है। साल 1733 में पहली बार ब्रिटिश वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने बजट पेश करने के दौरान देश के आर्थिक लेखे-जोखे से जुड़े तमाम कागजात एक चमड़े के थैले में लेकर आए थे, जिसे फ्रेंच भाषा में बोजेट या बुगेट का नाम दिया गया था। इसके बाद 1860 में चांसलर ग्लैडस्टोन ने लकड़ी का बॉक्स बनवाकर उस पर लाल चमड़ा लगवाया और महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी छापवाया। तब से सभी वित्त मंत्रियों ने बजट दस्तावेज सदन में लाने के लिए उसी बॉक्स का इस्तेमाल किया। बात अगर भारत की करें तो 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में जेम्स विल्सन ने भारत का पहला बजट पेश किया था। जेम्स विल्सन को ही भारतीय बजट के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।


151 साल पहले हुई थी ये रोचक घटना

इस लाल बॉक्स से जुड़ी एक रोचक कहानी है भी है, जो 151 साल पुरानी है। ये बात है वर्ष 1868 की जब चांसलर वार्ड हंट बजट पेश करने संसद पहुंचे और हाउस ऑफ कामंस में भाषण शुरू करने के लिए उन्होंने बॉक्स खोला तो उसमें से दस्तावेज गायब थे। बॉक्स खाली देखकर चारों ओर सन्नाटा छा गया। इसके बाद उन्होंने एक कर्मचारी को अपने दफ्तर भेजा और मेज पर रखे सारे कागजात उठा लाने को कहा। इसके बाद चांसलर ने अपना भाषण शुरू किया।

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